मुजफ्फरपुर, डिब्रूगढ़ से लालगढ़ जा रही 15909 अप अवध-असम एक्सप्रेस की एसी (बी-2) बोगी में बुधवार की शाम ब्रेक बाइंडिंग के कारण आग लग गई। मुजफ्फरपुर जंक्शन से खुलने के बाद आग की लपटें तेजी हो गईं। इससे कोच में धुआं भरने लगा। यात्रियों ने चेन पुलिंग कर रामदयालु स्टेशन पर ट्रेन रोका।
रामदयालु नगर स्टेशन पहुंचते ही हंगामा मच गया। यात्री जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। कुछ सामान के साथ भागे तो कुछ ऐसे ही। एसी को तत्काल बंद किया गया। कुछ यात्री बी-2 से अंदर ही अंदर भाग कर स्लीपर की तरफ से उतर गए। इस बीच डाउन साइड से पाटलिपुत्र-जयनगर एक्सप्रेस आ गई। यहां भी हादसा होते-होते बचा। गनीमत रही कि किसी प्रकार की अनहोनी नहीं हुई।
आग बुझने पर चालक और गार्ड ने ब्रेक बाइंडिंग को छुड़ाया। कैरेज एंड वैगन विभाग (सीडीओ) के रेल अधिकारी महेश कुमार अभियंताओं की की टीम के साथ पहुंचे। जांच करने के बाद ट्रेन को वहां से सवा छह बजे लालगढ़ के लिए रवाना कर दिया गया। सीडीओ के पदाधिकारी ने बताया कि अभियंताओं की एक टीम को ट्रेन से भेजा गया। हाजीपुर में बी-2 एसी कोच की पड़ताल की गई। सोनपुर एडीआरएम योगेश के नेतृत्व में जांच हुई। ट्रेन को 10 मिनट रोकने के बाद वहां से रवाना कर दिया गया।
सोनपुर डीआरएम ने दिए जांच के आदेश
घटना की सोनपुर डीआरएम नीलमणि ने जांच का आदेश दिया है। सीडीओ के नेतृत्व में चालक, गार्ड का बयान दर्ज किया जाएगा। वहीं, रामदयालु स्टेशन प्रबंधक मनीष कुमार एवं अन्य स्टेशन मास्टर का बयान ले लिया गया है।
ट्रेन से कूदने के दौरान कई यात्री घायल
अवध-असम एक्सप्रेस के बी-2 कोच के आठ नंबर बर्थ पर सफर कर रहे बीकानेर निवासी करण सिंह ने बताया कि उनका नागालैंड में व्यवसाय है। ट्रेन से हमेशा आते-जाते हैं। उन्होंने बुधवार को मटियारी स्टेशन से यात्रा शुरू की। मुजफ्फरपुर तक तो ट्रेन सही आई। यहां से खुलने के बाद कोच में धुआं भरने लगा। मैं और हमारे सामने की सीट वाले सामान के साथ भागे। इस दौरान रेल पटरी पार कर ही रहे थे कि सामने एक गाड़ी और आती दिखाई दी। हल्ला करने पर चालक ने ट्रेन रोक दी। इस दौरान रेल पटरी और ट्रेन से कूदने के दौरान कई रेल यात्री चोटिल हो गए।
एलएचबी कोच काफी अत्याधुनिक तकनीक से बनी है। हर चक्के के पास दो सिग्नल यंत्र लगाए गए हैं। अगर एक चक्का का ब्रेक बाइंडिंग होगा तो एक यंत्र लाल होगा, अगर दोनों चक्के का होगा तो दोनों यंत्र लाल दिखाई देंगे। जब दोनों चक्के सही रहते हैं तो दोनों ग्रीन रहते हैं। स्टेशन आने पर या गुजरने पर सीएनडब्ल्यू विभाग के इंजीनियर जांच करते हैं। अगर लाल है तो ट्रेन को रोक कर ब्रेक बाइंडिंग छुड़ाया जाता है। नहीं है तो ट्रेन को आने दिया जाता है लेकिन, बोगी में कहां से ब्रेक बाइंडिंग था, किसी ने नहीं देखा। नतीजा हुआ कि चक्के में आग लग गई।
इनपुट : दैनिक जागरण