_एईएस मामले में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा की याचिका पर आयोग ने की अनुशंसा_

मुजफ्फरपुर – जिले में वर्ष 2019 में एईएस से पीड़ित बच्चों व सरकारी व्यवस्था की लापरवाही को लेकर मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा के द्वारा बिहार मानवाधिकार आयोग में एक याचिका दायर की गई थी। मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने स्वास्थ्य विभाग को नोटिस जारी किया था, जिसमें यह बात सामने आई कि एईएस से मरने वाले बच्चों के परिजनों को सरकार द्वारा 4 – 4 लाख रुपये देने का प्रावधान है तथा सरकार द्वारा यह भी बात कहा गया कि एईएस के इलाज हेतु सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

सुनवाई के दौरान मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने सरकार के जवाब पर नाराजगी जाहिर करते हुए आयोग को बताया कि एईएस से मृतक बच्चों का तत्काल मृत्यु प्रमाण पत्र ही नहीं निर्गत हो पाता है तथा मुआवजे की राशि मृतक के परिजनों को कैसे प्राप्त होगी इसकी प्रक्रिया को सुलभ किया जाना अतिआवश्यक है। अधिवक्ता एस. के. झा द्वारा उठाये गए बिंदुओं पर स्वास्थ्य सेवाएँ के निदेशक प्रमुख द्वारा बिहार के सभी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल तथा सभी उपाधीक्षक सदर अस्पताल बिहार को संबोधित एक पत्र जारी किया गया, जिसमें इस बात का जिक्र किया गया कि एईएस/जेई से मृत मरीजों का मृत्यु प्रमाण पत्र तत्काल निर्गत किया जाए।

लेकिन मुआवजे की राशि मृतकों के परिजनों को कैसे मिलेगा, इस बारे में स्वास्थ्य विभाग द्वारा सकारात्मक प्रतिउत्तर नही दिया गया। सुनवाई के दौरान अधिवक्ता एस. के. झा ने इस बात पर भी जोर दिया कि एईएस बीमारी के कारणों का पता लगाने हेतु उच्च स्तर के अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने जिले के पारू थाना क्षेत्र के बड़ा दाऊद गाँव निवासी विपुल कुमार की पुत्री की मौत एईएस से होने के बावजूद मुआवजे की राशि का भुगतान नहीं होने के मामले को भी आयोग के समक्ष रखा।

विदित हो कि अधिवक्ता एस. के. झा के सवालों का जबाव स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं था। आयोग भी इस पूरे मामले की गंभीरता को समझ गया। तत्पश्चात बिहार मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति विनोद कुमार सिन्हा ने एईएस से मृत बच्चों के परिजनों को सुगमतापूर्वक मुआवजे की राशि दिए जाने के संबंध में स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए जाने के संबंध में सरकार से अनुशंसा किया है। साथ-ही-साथ पारू थाना क्षेत्र के बड़ा दाऊद गाँव निवासी विपुल कुमार की पुत्री की मृत्यु एईएस से होने के बावजूद मुआवजे की राशि का भुगतान न होने के मामले में जिलाधिकारी मुजफ्फरपुर को विधिसम्मत कार्रवाई करने की भी अनुशंसा किया है।

साथ-ही-साथ आयोग ने अपने आदेश में स्पष्ट लिखा है कि – “सरकार से यह भी अनुशंसा की जाती है कि एईएस बीमारी के कारणों का पता लगाने हेतु सरकारी या गैरसरकारी संगठनों के द्वारा किये जा रहे अनुसंधान को और तेज करने की कार्रवाई की जाए, जिससे भविष्य में होने वाली बीमारी एवं मृत्यु से बचा जा सके।”

आयोग के इस निर्णय पर मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आयोग द्वारा पारित आदेश का सरकार अगर अक्षरशः पालन करती है तो निश्चित रूप से एईएस पर काबू पाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि एईएस और चमकी बुखार जैसे मामलों के लिए हमारा संघर्ष भविष्य में भी लगातार जारी रहेगा।

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