मुजफ्फरपुर : स्वास्थ्यकर्मियों की अस्थाई बहाली के मुद्दे पर घिरे जेडीयू के एमएलसी दिनेश सिंह और एलजेपी सांसद वीणा देवी अब सफाई देने के लिए सामने आए हैं. जेडीयू एमएलसी दिनेश सिंह ने कहा है कि सिविल सर्जन उनके ऊपर जो आरोप लगा रहे हैं वह मनगढ़ंत है. दिनेश सिंह के मुताबिक सिविल सर्जन ने उनके कहने पर किसी एक व्यक्ति की बहाली नहीं की. जिला परिषद की बैठक में वह इस मामले को गंभीरता से उठाते जरूर रहे हैं लेकिन सिविल सर्जन की भूमिका संदिग्ध रही है. दिनेश सिंह के ऊपर आरोप लगे हैं कि उन्होंने पैसे लेकर लोगों की बहाली की. दिनेश सिंह ने दावा किया है कि अगर उनके कहने पर किसी की बहाली सिविल सर्जन ने की तो उन्हें नाम सार्वजनिक करना चाहिए.
उधर दिनेश सिंह की पत्नी और लोक जनशक्ति पार्टी की सांसद वीणा देवी ने कहा है कि सिविल सर्जन की तरफ से जो आरोप लगाए गए हैं, वह बेबुनियाद है. सांसद वीणा देवी ने आरोप लगाया है कि सिविल सर्जन ने इससे बहाली प्रक्रिया में पैसे की उगाही की है. उल्टे उनके ऊपर ही आरोप लगाया जा रहा है. जनप्रतिनिधि होने के नाते उन्होंने इस सवाल को उठाया था और प्रभारी मंत्री जब दौरे पर आए थे तो भी यह कहा था कि स्वास्थ्य कर्मियों की बहाली सही तरीके से हो.
मामला मुजफ्फरपुर में 780 स्वास्थ्यकर्मियों की संविदा पर बहाली का है. मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन के स्तर पर कोविड से निपटने और वैक्सीनेशन को सही तरीके से लागू करने के नाम पर इन कर्मचारियों की अस्थायी बहाली की गयी. नियुक्ति के 20 दिन बाद मुजफ्फरपुर के डीएम ने मामले की जांच करायी. जांच में पाया गया कि नियुक्ति में बड़े पैमाने पर गडबड़ी की गयी है. जांच रिपोर्ट आने के बाद दो दिन पहले डीएम ने सारी नियुक्ति को रद्द करने का आदेश दिया. सिविल सर्जन के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी कर दी. लेकिन नियुक्ति रद्द होने के बाद बहाल किये गये कर्मचारियों ने भारी हंगामा खड़ा कर दिया. शुक्रवार को उन्होंने जमकर हंगामा किया. इसके बाद सिविल सर्जन ने उन्हें फिर से बहाल करने का आदेश जारी कर दिया. मुजफ्फरपुर में हुए इस भर्ती घोटाले को लेकर पूरे स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मचा है.
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन एस के चौधरी ने मीडिया के सामने इस पूरे मामले का राज खोला था. सिविल सर्जन की जुबानी ही इस बहाली में हुए खेल की कहानी सुनिये “माननीय विधान पार्षद दिनेश सिंह ने 5 लोगों को बहाल करने की सिफारिश की थी. मैंने उन सभी पांच लोगों को नियुक्ति कर लिया. सांसद वीणा देवी की भी सिफारिश आयी थी दो लोगों के लिए. उनको भी रख लिया गया. फिर भी पता नहीं क्यों जिला परिषद की बैठक में दिनेश सिंह ने इस बहाली में गडबड़ी का आरोप लगाया. उन्होंने डीएम को चिट्ठी लिख कर इस मामले की जांच कराने को कहा. उनके पत्र के आधार पर ही इस मामले की जांच करायी गयी औऱ नियुक्ति को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया गया.”
मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन ने कहा था कि कोरोना से निपटने औऱ वैक्सीनेशन को गति देने के लिए राज्य स्वास्थ्य मुख्लायल से उन्हें तीन महीने के लिए संविदा पर कर्मचारियों को रखने का निर्देश मिला था. उन्होंने उसी आदेश के आलोक में कर्मचारियों को रखा था. उस बहाली में विधान पार्षद दिनेश सिंह औऱ उनकी सांसद पत्नी वीणा देवी का पूरा ख्याल रखा गया. फिर भी उन्होंने शिकायत कर दी.
Input : first bihar