बिहार के शिक्षा मंत्री और राजद नेता चंद्रशेखर यादव के द्वारा नालंदा खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में रामचरित्र मानस और मनुस्मृति को दिए गए विवादित बयान का बवाल थमने का नाम नहीं ले रहा है शुक्रवार को मुजफ्फरपुर के एमपी एमएलए विशेष न्यायालय में शिक्षा मंत्री के खिलाफ 3 परिवाद दायर हुआ है।

पहला परिवाद विश्व हिंदू परिषद के जिला अध्यक्ष कृष्ण मुरारी भर्तियां ने दायर किया है. जिसमें उन्होंने जुर्म दफा 295 295a 298 504 और 503 ए और बी में परिवाद दायर करते हुए शिक्षा मंत्री द्वारा राष्ट्रीय अखंडता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने एवं सभी समुदाय के धार्मिक एकजुटता पर प्रहार करने का आरोप लगाते हुए परिवाद दायर किया है।

वहीं दूसरी ओर अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने डॉ चंद्रशेखर पर 505 504 506 153 295 के तहत मनुस्मृति, तुलसीदास रचित रामचरितमानस एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचारक माधव सदाशिव गोलवलकर लिखित बंच ऑफ थॉट्स के खिलाफ नफरत फैलाने का बयान दिए जाने को लेकर परिवाद दायर किया है।

तीसरा परिवाद बाबा गरीबनाथ धाम के महंत अभिषेक पाठक ने भी बिहार के वर्तमान शिक्षा मंत्री डॉ चंद्रशेखर के खिलाफ 153a 153b 295 298 505 आईपीसी के तहत परिवाद दायर करते हुए करोड़ों हिंदुओं की सभ्यता और संस्कृति पर कुठाराघात करने का आरोप लगाते हुए परिवाद दायर किया है।

सभी परिवाद को न्यायालय ने स्वीकार करते हुए सुनवाई की अगली तिथि 25 जनवरी को निर्धारित की है। लगातार दायर हो रहे परिवाद से शिक्षा मंत्री की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं।

क्या बोले थे शिक्षा मंत्री

शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर यादव ने नालंदा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में रामचरितमानस पर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है। यह समाज को जोड़ने के बजाय तोड़ने वाली किताब है। यह महिलाओं, दलितों और पिछड़ों को पढ़ाई और हक दिलाने से रोकता है।

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