बिहार के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को डिजिटल डिवाइस मिल सकती है। इसको लेकर राज्य सरकार का शिक्षा विभाग तैयारी कर रहा है। बिहार सरकार ने पिछले ही सप्ताह केन्द्रीय शिक्षा मंत्री के समक्ष पुरजोर ढंग से वर्तमान दौर में सरकारी स्कूलों के बच्चों की निरंतर प्रगति और उनकी पढ़ाई के लिए डिजिटल डिवाइस की जरूरत को रखा था। साथ ही समग्र शिक्षा योजना के तहत डिजिटल डिवाइस को शामिल करते हुए इसके लिए राशि का प्रावधान करने की मांग रखी गयी थी। अब स्कूली बच्चों को डिजिटल डिवाइस देने को लेकर खर्च का आकलन होगा। प्रोजेक्ट एप्रवुल बोर्ड की बैठक में बिहार द्वारा 2021-22 को लेकर रखे जाने वाले बजट में इसे शामिल किया जाएगा। केन्द्र की मंजूरी पर ही इस मंशा को जमीन पर उतारना निर्भर है। मंजूरी मिली तो इस मद में राशि के अनुसार मौजूदा सत्र में ही बच्चों को डिवाइस दिये जा सकते हैं।

गौरतलब हो कि कोरोना संक्रमण की पहली और दूसरी लहर के कारण स्कूली बच्चों की पढ़ाई पिछले दो साल से बाधित है। दूरदर्शन और अन्य ई-प्लेटफॉर्म के जरिए पढ़ाई की निरंतरता बनाने की पहल जरूर की गई, लेकिन साधन मसलन फोन, टैबलेट या लैपटॉप की सुविधा नहीं रहने से बहुत कम फीसदी नामांकित बच्चे ही इसका लाभ उठा पाये। इसी माह 17 मई को कोरोना काल में शैक्षिक प्रबंधन की समीक्षा के लिए जब केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने वर्चुअल बैठक की तो बिहार के शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने समग्र शिक्षा के अंतर्गत बच्चों को डिजिटल डिवाइस देने के प्रावधान की वकालत की।

दो करोड़ से अधिक बच्चे और बड़ी धनराशि की जरूरत

बिहार के सरकारी स्कूलों में कक्षा-1 से 12 तक नामांकित बच्चों की संख्या दो करोड़ दस लाख के करीब है। इनमें पहली से आठवीं में ही 1.68 करोड़ बच्चे हैं, जबकि 9वीं से 12वीं तक करीब 42 लाख। डिजिटल डिवाइस के रूप में लैपटाप तो संख्या के लिहाज से संभव नहीं, पर यदि 6 हजार का स्मार्टफोन या फिर दस हजार का टैबलेट दिया जाय तब भी 11-12 हजार करोड़ रुपए की दरकार होगी। केन्द्र की मंजूरी मिली तो मौजूदा सत्र में 9वीं से 12वीं के विद्यार्थियों को डिजिटल डिवाइस देने की शुरुआत की जा सकती है। यदि राशि अधिक स्वीकृत हुई तो कक्षा छह से 12 तक के बच्चों को स्मार्टफोन या टैब मिल सकता है, हालांकि तब भी लाभुक छात्रों की संख्या करीब एक करोड़ हो जाएगी।

15 जून को पीएबी की बैठक में होगा निर्णय

15 जून को भारत सरकार के प्रोजेक्ट एप्रुवल बोर्ड की बैठक होनी है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में ही शिक्षा विभाग की ओर से वर्तमान सत्र के लिए बजट का प्रस्ताव रखा जाना है। बिहार समेत कई राज्यों का मानना है कि जब कोरोना की तीसरी लहर संभावित है, ऐसे में समग्र शिक्षा में स्कूलों में सुविधा बढ़ाने से बेहतर होगा बच्चों को डिजिटल डिवाइस देना। बहरहाल यह योजना पूरी तरह 15 जून की बैठक के निर्णय पर निर्भर है।

बढ़ रहा डिजिटल डिवाइड

डिजिटल डिवाइस के अभाव में सरकारी और निजी स्कूलों के बीच डिजिटल डिवाइड (अंतर) बढ़ रहा है। निजी स्कूलों के सभी सक्षम बच्चे जहां ई माध्यमों का भरपूर लाभ ले रहे हैं, वहीं सरकारी स्कूलों के बच्चे महामारी के इस काल में साधन की कमी से पिछड़ रहे हैं। उनके लिए डिजिटल डिवाइस का प्रबंधन हो गया तो फिर यह डिजिटल डिवाइड कम हो सकेगा।

Source : Hindustan

684 thoughts on “नीतीश सरकार की बड़ी पहल: सरकारी स्कूल के बच्चों को मिलेगा टैब या लैपटॉप, शिक्षा विभाग तैयारी में जुटा”
  1. trouver un mГ©dicament en pharmacie [url=https://pharmaciepascher.pro/#]pharmacie en ligne sans ordonnance[/url] Achat mГ©dicament en ligne fiable

  2. п»їlegitimate online pharmacies india [url=http://indianpharmacyeasy.com/#]Online medicine home delivery[/url] п»їlegitimate online pharmacies india

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *