मुजफ्फरपुर, पड़ोसी ही दुश्मन हो जाए तो दामन बचाना मुश्किल हो जाता है। भारत और खासकर बिहार में होनेवाली मूर्ति चोरी के संदर्भ में कुछ ऐसे ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं। जिसको भी यह जानकारी हो रही है वह यकीन नहीं कर पा रहा है कि पड़ोस के देश से इस तरह की साजिश रची जा रही है। हालांकि इसका दूसरा पहलू भी है। वह है आंतरिक सुरक्षा का। हमलोग इतनी घटनाएं होने के बाद भी मठ-मंदिर की मूर्तियों को बचाने की दिशा में कुछ भी खास नहीं कर पाए हैं। कोई व्यवस्था नहीं बना सके हैं। भगवान की मूर्तियों को भगवान के भरोसे ही छोड़ दिया गया है।

नेपाल पहुंचाई जा रहीं मूर्तियां

मठ और मंदिरों में देवी-देवताओं की दुर्लभ और कीमती मूर्तियों की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं। उत्तर बिहार के विभिन्न जिलों में लगातार मूर्तियों की चोरी हो रही है। बीते दो साल में दो दर्जन से अधिक घटनाएं हो चुकी हैं। मूर्तियों को सीमावर्ती जिलों के रास्ते नेपाल पहुंचा दिया जाता है। सोमवार को सीतामढ़ी से चोरी गई राम-जानकी और लक्ष्मण की डेढ़ सौ साल पुरानी मूर्तियों की चोरी के पीछे भी नेपाल से जुड़े संगठित गिरोह केशामिल होने की आशंका जाहिर की जा रही है।

चोरी से पहले रेकी

सीतामढ़ी के राम शोभित राउत बताते हैं कि मूर्ति चोरी और तस्करी का जाल नेपाल की राजधानी काठमांडू तक फैला है। वहां से बड़े गिरोह के माध्यम से अन्य देशों में भेजा जाता है। चोरों का गिरोह पहले मठ व मंदिरों की रेकी करता है। समय मिलते ही मूर्तियों को गायब कर देता है। इसके बाद उन्हें बार्डर से जुड़े ग्रामीण रास्तों से नेपाल पहुंचा दिया जाता है। सूत्रों की मानें तो तस्कर और चोरी करने वाला गिरोह अलग-अलग काम करते हैं। चोरों का काम मूर्ति चोरी कर तस्करों को उपलब्ध कराना होता है। उसकी खरीद-फरोख्त तस्कर ही करते हैं।

मोबाइल पर उपलब्ध कराई जाती तस्वीर

चोरी की मूर्तियों की बिक्री के लिए मोबाइल फोन का सहारा लिया जाता है। गया में 28 फरवरी को गिरफ्तार पांच तस्करों के पास से मिले मोबाइल फोन में भी कई मूर्तियों की तस्वीरें मिली हैं। उनसे बरामद 10 मूर्तियों को नेपाल के रास्ते अन्य देशों में भेजने की तैयारी थी। इधर, भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र से होकर मूर्तियों की तस्करी पर रक्सौल में स्थानीय पुलिस समेत अन्य सुरक्षा एजेंसियां चौकस हो गई हैं। रक्सौल थानाध्यक्ष शशिभूषण ठाकुर बताते हैं कि खुली सीमा संवेदनशील है। चौकसी बरती जाती है।

इस साल मधुबनी में हो चुकी बड़ी चोरी

बीते साल 29 जुलाई को मुजफ्फरपुर के औराई में राम-जानकी मंदिर से माता सीता की 10 किलो वजनी मूर्ति चोरी हो गई थी। शहर के अंडीगोला में रामजानकी मंदिर से सात अक्टूबर को श्रीकृष्ण की दो मूर्तियां चोरी गईं। सीतामढ़ी के सुरसंड में राधाकृष्ण मंदिर से 16 मई को महादेव, दुर्गाजी, लक्ष्मीजी व गणेशजी की मूर्तियां चुरा ली गई थीं। मधुबनी के रहिका में 23 दिसंबर को राधा-कृष्ण की मूर्तियां चोरी हो गई थीं। इस साल चार जनवरी को बेनीपट्टी के बनकट्टा स्थित रामजानकी मंदिर से श्रीराम, जानकी, लक्ष्मण व गणेश की मूर्तियों चोरी कर ली गई थीं।

इनपुट : जागरण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *