बात ममता की हो, बहादुरी की हो या हृदय की कोमलता की. जीत हर जगह मां की ही क्यों होती है? शायद इसलिए क्योंकि वो मां ही होती है जो अपने बच्चे को महफूज रखने के लिए किसी भी हद तक गुजर सकती है. फिर चाहे वो चाहे खुद का बालात्कार करवाना ही क्यों ना हो. जी हां चौंकिए नहीं, यह कोई किसी रुपहले पर्दे के लिए बनी फिल्म की हवा में लिखी स्क्रिप्ट नही है. यह उस दिलेर मगर बदकिस्मत मां की जिंदादिली की आपबीती है, जिसने केवल इसलिए अपना रेप कराते रहना मंजूर किया कि कहीं बालात्कारी पास में सो रहे उसके बच्चों को ना मार डाले .
फिलहाल ऐसी दिलेर मां के बलात्कार के मुजरिम को अब कुल 22 साल 8 महीने की सख्त सजा मुकर्रर कर दी गई है. यह सब संभव हो सका है एक दिलेर मां की समझदारी के चलते. उसने हिम्मत और दिमाग से काम लेते हुए न केवल खुद की जिंदगी बचा ली बल्कि घटना के वक्त अपने पास वाले कमरे में सोते बच्चों को भी कत्ल होने से बचा लिया. दिलेर और सब्र वाली महिला की समझदारी के चलते मुजरिम को 22 साल 8 महीने की सख्त सजा हुई है.
नींद से जग जाते बच्चे तो हो जाती हत्या
अगर घटना के वक्त महिला ने आपा खो दिया होता या खुद को रेप से बचाने के लिए शोर मचाकर दोनों बच्चों को नींद से जगा दिया होता तो, कोई बड़ी बात नहीं थी कि रेपिस्ट तीनों को मार डालता. बीते शुक्रवार को ही इस मामले के मुजरिम पेट्रस आयोनट अपोस्टोए को लिवरपूल क्राउन कोर्ट में सजा सुनाई गई है. उसके खिलाफ दो आरोप लगाए गए थे. एक घर में सेंधमारी का और, दूसरा जबरन घर के भीतर घुसकर यौन अपराध अंजाम देने का मुकदमा. अभियोजन पक्ष की ओर से लुईस मैकक्लोस्की ने कोर्ट को बताया कि, बीते साल 2 अक्टूबर की रात पीड़िता के घर एक पार्टी का आयोजन किया गया था. उस पार्टी में पहुंचे सभी परिचित और दोस्त शाम 6 बजे के करीब पार्टी अटैंड करके वापिस चले गए. इसके कुछ देर बाद ही घर में मौजूद महिला मैकक्लोस्की ने, देखा कि जब वे घर में सो रही थीं उसी वक्त, अचानक उनका मुंह किसी ने पीछे से आकर दबा दिया.
उन्होंने मुंह दबाए शख्स से अनुरोध किया कि वो शोर नहीं मचाएंगीं. इससे संतुष्ट होने पर आरोपी ने, महिला का रेप करना शुरू कर दिया. महिला को पहली बार तो लगा कि वो पड़ोस वाले कमरे में सो रहे बच्चों को शोर मचा कर जगा दे, जिससे डरकर हमलावर भाग जाएगा. लेकिन फिर अचानक ही महिला के दिमाग में आया कि नहीं वो ऐसा नहीं करेगी. क्योंकि इससे कई नुकसान हो जाएंगे. एक तो बलात्कारी के सामने मजबूर हालत में बैठी मां को देखकर, बच्चों के मष्तिष्क पर वो अमिट और बुरी यादें छा जाएंगीं, जो बच्चे जीवन भर नहीं भुला सकेंगे, यह बच्चों के लिए किसी नासूर सा बन जाएगा.
दूसरे, पीड़िता को लगा कि संभव है कि उसके शोर मचाने से हड़बड़ाया रेपिस्ट, उसका (पीड़िता का) कत्ल करके घर से भाग जाए. ऐसे में कभी किसी को नहीं पता चलना था कि, घर के अंदर बच्चों के साथ मौजूद मैकक्लोस्की को किसने और क्यों कत्ल किया होगा? तीसरी वजह महिला ने कोर्ट के सामने जो बताई, उसने जूरी (मुकदमे की सुनवाई कर रही कोर्ट की बेंच) को भी हिला कर रख दिया.
ये थी तीसरी बड़ी वजह
बहादुर महिला ने बताया कि, “बेशक घटना के समय शोर मचाकर मैं संभव है कि खुद को बलात्कार का शिकार होने से बचा लेती. इसकी मगर कोई गारंटी नहीं थी कि, मेरी आवाज के शोर से बराबर वाले कमरे में सो रहे बच्चे बाहर आते तो, उन्हें मेरे रेप का आरोपी कत्ल करने से छोड़ देता. इसलिए मैंने काफी कुछ सोचकर चुपचाप अपना रेप कराना ही बेहतर समझा. शायद मैंने जो किया वो उस रात अपने और बच्चों की जिंदगी बचाने के लिए सही ही किया. अगर उस रात मुझे और मेरे बच्चों की जिंदगी ही चली गई होती तो फिर, मुजरिम की गिरफ्तारी और उसे 22 साल की सजा की बात तो दूर की रही. मेरा तो घर ही बर्बाद हो चुका होता.”
पीड़िता ने कोर्ट को दिए बयान में आगे कहा कि, “अपने साथ रेप की घटना होने के वक्त मैं आरोपी का विरोध करने के बजाए उसकी मदद करने लगी थी. ताकि उसे इसका शक ही न हो कि मैं उसका जरा भी विरोध कर सकती हूं. मेरे व्यवहार से आरोपी भी मुतमईन होकर मेरा रेप करके चुपचाप मौके से भाग गया था.”
कोर्ट में चले ट्रायल के मुताबिक, घटना के वक्त और उसके बाद घटनास्थल से भागते हुए आरोपी अपोस्टोए ने, महिला को धमकी दी थी कि वो, पुलिस को कॉल नहीं करेगी. साथ ही रेप की दुस्साहिसक घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी ने महिला से पूछा कि वो ठीक तो है न? बच्चों की जिंदगी की खातिर खुद अपनी इज्जत दांव पर लगा देने वाली इस बहादुर महिला का बाद में पुलिस ने मेडिकल कराया. मेडिकल रिपोर्ट में पता चला कि महिला के घुटनों बदन के कुछ अन्य हिस्सों पर चोट-खरोचों के निशान मौजूद थे.
मुजरिम के वकील ने क्या कहा?
जांच के दौरान पुलिस ने आरोपी का डीएनए सैंपल भी लिया था. जो बाद में कोर्ट में उसे मुजरिम करार दिलवाने में मददगार साबित हुआ. वो डीएनए सैंपल घटना के 12 दिन बाद लिया जा सका था. सभी मुकदमों में 3 जनवरी 2023 को मुजरिम करार दिए जाने के बाद आरोपी अपोस्टोए से दो बार बात की कोशिश की गई. उसने मगर किसी भी बार बात नहीं की. हालांकि इन सबके इतर मुजरिम के वकील रहे पॉल वुड ने अपने मुवक्किल का बचाव करने की कोशिश की. उनका कहना था कि, “एपोस्टोए (सजायाफ्ता मुजरिम) लंबे समय से कोकीन लेने का आदी रहा है. उसने रेप की की इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम भी कोकीन के नशे में ही दिया था.”
मुजरिम के वकील पॉल वुड आगे कहते हैं कि, ” मेरे मुवक्किल को अंग्रेजी नहीं आती है. उसका ब्रिटेन में कोई अपना या उसके परिवार का सदस्य भी नहीं है. इसलिए उसकी मदद की जानी चाहिए. वह माफी के साथ मानता है कि अपराध को लेकर उसे खेद है. उसे बदलने के लिए पुनर्वास और मदद की जरूरत है.” वहीं डेली स्टार की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस सबसे अलग इस दुस्साहसिक घटना के मुजरिम को सजा सुनाने वाले जज डेनिस वॉटसन केसी ने कहा, ” मुजरिम ने न केवल महिला के घर में जबरन घुसने और चोरी की है. बल्कि महिला का रेप भी किया है. इससे साफ तुम्हारी (मुजरिम) मंशा जाहिर होती है कि तुमसे अपराध अचानक इत्तिफाकन अंजाम नहीं दे दिया गया. तुमने प्लानिंग के तहत अपराध को अंजाम दिया है. लिहाजा इस मुकदमे में कानूनन सुनाई गई सजा ही एकमात्र सही विकल्प बचता है.”
Source : Tv9 bharatvarsh