मधुबनी। बिहार के मधुबनी जिला के बेनीपट्टी के रहने वाले एक युवा पत्रकार की लाश पुलिस ने बरामद कर ली है। पत्रकार ने अपने पोर्टल और सोशल मीडिया के जरिये इलाके में चल रहे अस्पतालों के बड़े फर्जी खेल को उजागर किया था। अगले 15 नवम्बर को एक बड़ा खुलासा करने वाला था। अपने फेसबुक पर एक पोस्ट भी डाला था “..15 नवम्बर को खेला होबे खेला होबे..”.लेकिन उसे क्या पता था कि इससे पहले ही उसे दुनिया से विदा कर दिया जाएगा।
इस युवा पत्रकार को उसकी पत्रकारिता की कीमत चुकानी पड़ी। उसे पहले अगवा किया गया फिर 4 दिनों के बाद उसकी लाश मिली। दिल दहला देने वाली इस घटना ने बिहार में सुशासन के दावों की पोल खोल दी हैं । अपहरण के बाद से पुलिस वाले परिजनों को गाड़ी में बैठाकर घूमते रहे और थाने से कुछ ही दूरी पर इस पत्रकार की लाश मिली है।
घटना की बाबत मृतक पत्रकार के भाई त्रिलोकी नाथ झा ने बताया कि उनका भाई अविनाश उर्फ बुद्धिनाथ झा सोशल मीडिया के साथ-साथ एक स्थानीय पोर्टल से भी जुड़ा था। आरटीआई के जरिये उसने बेनीपट्टी में इलाज के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा किये जा रहे बड़े फर्जीवाड़े को भी उजागर किया था।
उसकी रिपोर्ट के आधार पर कई निजी अस्पतालों ने डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई भी की गई थी। एक बार फिर उसने कई सबूत जुटाए थे। 8 नवम्बर को उसने अपने फेसबुक पर एक पोस्ट किया था की 15 नवम्बर को बड़ा खुलासा करेगा। लेकिन अगले ही दिन रात 9 बजकर 58 मिनट पर मोबाइल से बात करते हुए अपने आफिस से निकला जिसके बाद उसका कोई पता नहीं चला।
परिजनों ने 11 नवम्बर को बेनीपट्टी थाने में अपहरण की प्राथमिकी दर्ज कराई। इस प्राथमिकी में शहर के उन चिकित्सकों और निजी नर्सिंग होम संचालकों का नाम दिया गया जिसके खिलाफ वह बड़ा खुलासा करने वाला था। लेकिन एफआईआर दर्ज होने के बाद भी पुलिस सक्रिय नहीं हुई। स्थानीय पुलिस तो निष्क्रिय थी ही जिले के एसपी और बेनीपट्टी डीएसपी ने भी लापरवाही बरती।
नतीजा निकला कि 12 नवम्बर को बुद्धिनाथ झा की लाश मिली। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है, लेकिन स्थानीय प्रशासन अभी तक मूकदर्शक बना हुआ है। ऐसा लग रहा है मानो सबकुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है। पुलिस की भूमिका को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी है।
Input : News24
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