भारत में एक बार फिर कोरोना वायरस संक्रमण का ग्राफ चढ़ने लगा है। बीते दो दिन से 16 हजार से ज्यादा नए मामले दर्ज हो रहे हैं और रोजाना होने वाली मौतों की संख्या भी सौ के पार है। विशेषज्ञ मान रहे हैं कि जांच में कमी, नया स्ट्रेन व टीकाकरण में देरी समेत पांच ऐसे कारण हैं जो काबू में आई महामारी की स्थिति को फिर से बिगाड़ रहे हैं। इस पर सरकार को तुरंत कदम उठाना होगा।
1. रोजाना की कोरोना जांचें आधी रह गईं
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के डाटा के मुताबिक, पिछले साल सितंबर में देश हर दिन दस लाख से ज्यादा नमूनों की कोविड-19 जांच की जा रही थी।
पर इस साल फरवरी आते-आते देश में जांचे इतनी घट गईं कि हर दिन छह से आठ लाख नमूनों की ही जांच हो रही है। बीते चौबीस घंटों में भी देश में 8,31,807 नमूनों की जांच हुई। देश में अबतक कुल 21,46,61,465 नमूनों की जांच हो चुकी है।
2. नमूनों की पॉजिटिविटी दर में वृद्धि
देश में रोजाना होने वाली कोरोना जांच की दर घट जाने के बावजूद नमूनों के पॉजिटिव होने की दर 5 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। यह स्थिति बताती है कि जरूरत से कम जांचें हो रहीं हैं और जितनी जांचें हो रही हैं, उनमें पॉजिटिव केसों की पुष्टि की दर अधिक है। पिछले महीने देश में टेस्ट पॉजिटिविटी दर लगभग 6 प्रतिशत थी जो इस महीने 5 प्रतिशत से अधिक बनी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन मानता है कि किसी भी देश की जांच पॉजिटिविटी दर लगातार दो सप्ताह तक पांच प्रतिशत या इससे कम होनी चाहिए तब ही संक्रमण पर नियंत्रण किया जा सकता है।
3. कोरोना वायरस के नए रूपों का असर
भारत सरकार बता चुकी है कि ब्रिटेन में सबसे पहले पहचाने गए वायरस के एक नए संस्करण के देश में 180 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं। साथ ही दक्षिण अफ्रीका और ब्राजील से दुनिया के दूसरे हिस्सों में फैले वायरस के एक और नए संस्करण के भी देश में कई मामले सामने आए हैं। हाल में देश में कोरोना का एक नया संस्करण भी पाया गया पर संक्रमण के पीछे इस वायरस के होने की पुष्टि सरकार ने नहीं की है। अशोका विश्वविद्यालय के महामारी विशेष शाहिद जमील का कहना है कि संक्रमण के चरम से देश के उबर जाने का मतलब यह नहीं है कि भारत दूसरी संभावित लहर से सुरक्षित है।
4. बचाव के तरीकों में लापरवाही
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ मानते हैं कि दिसंबर-जनवरी में देश में कोरोना संक्रमण घटा, जिसके बाद लोग लापरवाही करने लगे और जांचें भी कम हो गई। इस कारण भी अब देश के महाराष्ट्र समेत पांच राज्यों में संक्रमण के मामले बढ़ गए हैं। विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि भारत में संक्रमण घटने के पीछे का एक अहम कारण बहुत बड़ी आबादी के शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाना रहा होगा। हाल में जारी कई सिरो सर्वे के परिणाम इस बात की ओर इशारा करते हैं कि देश की बड़ी आबादी वायरस के जद में आकर खुद ही ठीक हो गई। इस तथ्य के आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीयों को पिछले महीने घटे संक्रमण को लेकर अति उत्साहित नहीं होना चाहिए क्योंकि ऐसे बहुत से लोग हो सकते हैं जिनके शरीर में बिना लक्षण वाला कोरोना संक्रमण हो। इसलिए लापरवाही न बरती जाए।
5. आबादी के हिसाब से धीमा टीकाकरण
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा संचालित आवर वर्ल्ड इन डाटा के मुताबिक, भारत प्रति सौ लोगों में मात्र एक को टीका लगा रहा। जबकि ब्रिटेन में हर सौ लोगों पर 27 और अमेरिका 19 लोगों को टीका लग रहा है। भारत का लक्ष्य जुलाई तक 30 करोड़ लोगों को टीका लगाना है, जिसमें वह काफी पीछे है। अभी तक देश में कुल 1,34,72,643 लोगों को ही टीका लगा है जबकि मार्च के अंत तक देश में 3 करोड़ को टीका लगना है। एक मार्च से देश में 27 करोड़ बुजुर्ग व गंभीर मरीजों को टीका लगाया जाना है। भारत सरकार के आंकड़े बताते हैं कि देश में टीकाकरण के हर सेशन में लक्ष्य की तुलना में 35 प्रतिशत ही टीकाकरण हुआ।
इनपुट : हिंदुस्तान