जिंदगी से प्यार और बीमारी से हार नहीं मानने की जिजीविषा। इसी जज्बे की बदौलत 75 वर्षीया शांति देवी ने कोरोना को मात दी, वह भी तब जब उनका फेफड़ा 80 फीसदी संक्रमित हो गया था। लगभग 25 से 27 दिन की इस लंबी लड़ाई के बाद वह अब स्वस्थ हैं। घरवालों के साथ आस-पड़ोस के लोगों का भी कहना है कि सबने उम्मीद छोड़ दी थी, मगर खुद शांति देवी ने उम्मीद नहीं छोड़ी।

दामुचौक निवासी शांति देवी के पुत्र डॉ. अमरेंद्र पांडे बताते हैं कि वह शिक्षा विभाग में डीपीओ है। वह खुद कोरोना संक्रमित हो गए थे। घर में छोटा भाई भी कोरोना की चपेट में था। फिर 10 अप्रैल को मां भी इसकी चपेट में आ गई। मां की स्थिति काफी नाजुक थी, मगर कोरोना को मात देकर स्वस्थ लौटना उनकी आत्मबल की वजह से हो सका है। उन्होंने बताया कि मां जब संक्रमित हुई तो उनकी स्थिति काफी खराब हो गई। 10 दिन तक दो चम्मच दूध भी उनके गले तक नहीं जा पाता था। चम्मच से जब दूध दिया जाता था तो उल्टी कर देती थी। वहीं, शांति देवी ने बताया कि डॉक्टर ने कहा था कि उनका 80 फीसदी फेफड़ा संक्रमित हो गया है।

संक्रमित ही हुआ था ना, उसे ठीक करने की जिद उनके भीतर थी। उनके बच्चे साथ थे और पूरी तरीके से देखभाल कर रहे थे। समय पर दवा, डॉक्टर के बताए अनुसार भांप ,नेबुलाइजेशन सभी समय समय पर दिया जा रहा था। अमरेंद्र पांडे ने कहा कि एक समय ऐसा था, जब हमें लग रहा था कि पता नहीं अगले पल क्या होगा। मगर मां की हिम्मत ही थी जो हमें भी ताकत दे रही थी। ठीक होने में उन्हें समय लगा है, मगर अब 8 मई के बाद से वह पूरी तरीके से स्वस्थ हैं और हम सबको विश्वास नहीं हो रहा कि उन्होंने 80 फीसदी फेफड़ा संक्रमित होने के बाद भी कोरोना से जंग जीत ली है।

Input: Live Hindustan

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *