मथुरा में इस वक्त स्थिति शांतिपूर्ण है. लेकिन शहर में सुरक्षा व्यवस्था ऐसी है कि परिंदा भी पर न मार सके. शहर में धारा-144 लागू है. शहर के सभी एंटी गेट, मुख्य सड़क पर पुलिस की तैनाती है. शहर में अंदर प्रवेश करने पर लोगों की चेकिंग की जा रही है. संदिग्धों से पहचान पत्र मांगा जा रहा है. शहर में हजारों की संख्या में पुलिस तैनात हैं.
क्यों सुर्खियों में है मथुरा?
हम आपको सबसे पहले बताते हैं कि शांत-शांत रहने वाले मथुरा में ये बवाल क्यों मचा है? दरअसल पिछले महीने अखिल भारत हिन्दू महासभा के नेता राजश्री चौधरी ने कहा था कि वे 6 दिसंबर को शाही मस्जिद के अंदर भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा स्थापित करेंगे और इसका जलाभिषेक करेंगे. इस संगठन का दावा है कि भगवान कृष्ण की वास्तविक जन्मस्थली मस्जिद के अंदर है. अखिल भारत हिन्दू महासभा के इस ऐलान को श्रीकृष्ण जन्मभूमि निर्माण न्यास, नारायणी सेना और श्रीकृष्ण मुक्ति दल ने भी समर्थन कर दिया.
इन संगठनों ने कहा कि वे शाही मस्जिद के अंदर 6 दिसंबर को लड्डू गोपाल यानी कि भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप की प्रतिमा स्थापित करेंगे और इसका जलाभिषेक करेंगे.
केशव मौर्य ने बयान से बढ़ाई सनसनी
हिन्दू संगठनों के बयान से चुनाव की ओर प्रस्थान कर रहे उत्तर प्रदेश का सियासी तापमान बढ़ गया. ये मामला तब और सुर्खियों में आ गया जब उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने एक दिसंबर को एक बयान दिया. उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि अयोध्या काशी भव्य मंदिर निर्माण जारी है, मथुरा की तैयारी है. उनका ये ट्वीट आज भी उनके ट्विटर टाइमलाइन पर देखा जा सकता है.
केशव प्रसाद मौर्य ने यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव से भी पूछा कि क्या वे मथुरा में भगवान कृष्ण की मंदिर चाहते हैं या नहीं?
मंदिर-मस्जिद का विवाद क्या है?
हिन्दू संगठनों का दावा है कि मुगल शासक औरंगजेब ने 1669 में श्रीकृष्ण मंदिर को तुड़वा दिया था और इसके एक हिस्से में ईदगाह का निर्माण कराया था. इसी ईदगाह को हटाने के लिए कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से केस दाखिल किया गया है. हिन्दू पक्ष का दावा है कि जहां राजा कंस की जेल थी वहां भगवान श्री कृष्णा ने जेल में जन्म लिया. 1669 में मुगल शासक औरंगजेब ने इसी जेल के चबूतरे पर शाही ईदगाह बनवा दी थी. हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिनेश कौशिक ने बताया कि शाही ईदगाह तो अतिक्रमण करके बनाई गई है क्योंकि जहां राजा कंस की जेल थी वहां भगवान श्री कृष्णा ने जेल में जन्म लिया था.
बता दें कि हिन्दू महासभा इस स्थान से ईदगाह को हटाने की मांग कर रहा है. फिलहाल ये मामला मथुरा सिविल न्यायालय में चल रहा है. इसकी अगली सुनवाई 15 फरवरी को है. रिपोर्ट के अनुसार कृष्ण जन्मभूमि वाली 13.33 एकड़ जमीन राजा मल से अखिल भारत हिन्दू महासभा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मदन मोहन मालवीय ने खरीदी थी.
हिन्दू संगठन ने मथुरा की अदालत में दायर याचिका में कहा है कि 2 अक्टूबर 1968 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और शाही ईदगाह प्रबंध समिति के बीच हुआ समझौता गलत है. इस संगठन ने अदालत से मांग की है कि इस समझौते को निरस्त किया जाए और मंदिर परिसर में स्थित ईदगाह को हटाकर वह भूमि हिन्दू पक्ष को सौंपी जाए.
बता दें कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ (श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान) और शाही ईदगाह मस्जिद प्रबंधन कमेटी के बीच जमीन को लेकर एक समझौता हुआ था. इसमें तय हुआ था कि मस्जिद जितनी जमीन पर है वो उसी तरह कायम रहेगी.
हिंदू पक्ष का दावा है कि कृष्ण का जन्मस्थान वहीं है जहां पर प्राचीन केशवराय मंदिर था. इनका ये भी दावा है कि वर्ष 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ नाम की संस्था का गठन हुआ, जिसने मुस्लिम पक्ष से गलत समझौता कर लिया.
इनपुट : आज तक