पटना, Ram Navami 2022: बिहार माता सीता की जन्मभूमि है। यहां भगवान श्रीराम व माता सीता की स्मृतियों से जुड़े कई मंदिर हैं, जिनपर लोगों की बड़ी आस्था है। पटना के प्रसिद्ध महावीर मंदिर में प्राचीन रामसेतु का एक पत्थर रखा है तो दरभंगा के अहियारी गांव में अहिल्या स्थान है, जिसके बारे में मान्यता है कि वहां भगवान श्रीराम ने अहिल्या का उद्धार किया था। अयोध्या की तरह ही सीतामढ़ी के पुनौरा धाम स्थित लानकी मंदिर का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि यह माता सीता की जन्मभूमि है। उधर, पूर्वी चंपारण के केसरिया में विशाल विराट रामायण मंदिर बन रहा है।
पटना का महावीर मंदिर: यहां रखा रामसेतु का तैरता पत्थर
सबसे पहले बात भारत के प्रसिद्ध पटना के महावीर मंदिर की। रामनवमी के दिन यहां अयोध्या की हनुमानगढ़ी के बाद सबसे ज्यादा भीड़ उमड़ती रही है। साल 1730 में स्वामी बालानंद द्वारा स्थापित यह मंदिर साल 1900 तक रामानंद संप्रदाय के अधीन था। फिर, 1948 में पटना हाइकोर्ट द्वारा सार्वजनिक मंदिर घोषित किए जाने तक इसपर गोसाईं संप्रदाय का अधिकार रहा। वर्तमान मंदिर का निर्माण आचार्य किशोर कुणाल के प्रयास से 1983 से 1985 के बीच आरंभ हुआ। इस भव्य मंदिर के गर्भगृह में भगवान हनुमान की मूर्तियां हैं। खास बात यी है कि अन्य मंदिरों से हटकर यहां बजरंग बली की युग्म मूर्तियां एक साथ हैं। एक मूर्ति परित्राणाय साधुनाम् (अर्थात अच्छे लोगों के कारज पूर्ण करने वाली) तो दूसरी विनाशाय च दुष्कृताम्बु (अर्थात बुरे लोगों की बुराई दूर करने वाली) है। यहां 15 किलो का रामसेतु का पानी में तैरता पत्थर कांच के बर्तन में रखा है।
अहिल्या देवी मंदिर: यहां श्रीराम ने किया था अहिल्या का उद्धार
द्बिहार के दरभंगा जिला में एक गांव है- अहियारी। यह अहिल्या स्थान के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि यहां भगवान श्रीराम ने ऋषि विश्वामित्र के कहने पर गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या का उद्धार किया था। इसके निकट हीं भोजपुर स्थान के बारे में मान्यता है कि वहां श्रीराम ने ताड़का वध किया था। इस स्थान पर अहिल्या देवी का मंदिर है। इस मंदिर के परिसर में भगवान श्रीराम, माता सीता व लक्ष्मण के मंदिर भी हैं। हर साल रामनवमी के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है।
विराट रामायण मंदिर: पूर्वी चंपारण के केसरिया में निर्माणाधीन
पटना के महावीर मंदिर का ड्रीम प्रोजेक्ट है केसरिया में निर्माणाधीन विराट रामायण मंदिर। यहां पहले चरण में हनुमान जी, दूसरे चरण में शिव जी और तीसरे चरण में रामजी का मंदिर बन रहा है। विभिन्न निर्माण शैलियों में बन रहे इस मंदिर में समेत देश के कई प्रमुख मंदिरों की झलक दिखेगी। इसे रामायण सर्किट से जोड़ा गया है। मंदिर निर्माण के स्थान को जानकी नगर का नाम दिया गया है।
पुनौरा धाम: अयोध्या की तरह सीता जन्मभूमि का भी महत्व
अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मभूमि है तो बिहार के सीतामढ़ी में माता सीता की जन्मभूमि है। सीता-राम में अपनी आस्था रखने वालों के लिए सीतामढ़ी का अयोध्या की तरह ही महत्व है। माता सीता की जन्मस्थली के रूप में विख्यात पुनौरा धाम में जानकी मंदिर बना हुआ है। अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण कार्य के शुरू होने के बाद अब बिहार में भी माता सीता की जन्मभूमि सीतामढ़ी में भव्य मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो गया है।पटना महावीर मंदिर के प्रमुख आचार्य किशोर कुणाल बताते हैं कि महावीर मंदिर की तरफ से अयोध्या में राम रसोई का तो सीतामढ़ी में सीता रसोई का संचालन किया जा रहा है।
जल्ला हनुमान मंदिर: पटना के इस भव्य मंदिर में राम दरबार
पटना में पटना साहिब रेलवे स्टेशन से करीब एक किमी दूर जल्ला का हनुमान मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि साल 1705 में इस सुनसान इलाके में गुलालदास महाराज नामक एक संत के आग्रह पर स्थानीय ठाकुरदीन तिवारी ने 10 कठ्ठा जमीन मंदिर के लिए दिया। ठाकुरदीन तिवारी की छठी पीढ़ी के वंशज पंडित रामावतार तिवारी ने 22 अगस्त 1999 को मंदिर की संपत्ति मंदिर निर्माण के लिए बनी समिति को सौंप दिया। इसके बाद वहां जन-सहयोग से करोड़ों की लागत से विशाल हनुमान मंदिर बनाया गया। इस भव्य मंदिर में भगवान हनुमान, देवाधिदेव महादेव, विध्न विनाशक गणेश जी और माता भगवती के साथ श्री राम दरबार भी सजा है। रामनवमी के अवसर पर यहां दो लाख से अधिक श्रद्धालु आते रहे हैं।
इनपुट : जागरण
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