मुजफ्फरपुर, पूर्व नगर आयुक्त रमेश रंजन के कार्यकाल में हुआ एक और घोटाला सामने आया है। ऑटो टिपर की तर्ज पर 74.25 लाख के डस्टबिन खरीद घोटाले का पर्दाफाश महालेखाकार ने किया है। पूर्व नगर आयुक्त के साथ पहले से ही ऑटो टिपर घोटाले में फंसे महापौर सुरेश कुमार भी इसके शिकंजे में आ गए हैं। मुजफ्फरपुर नगर निगम में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए वर्ष 2017 में 75 हजार डस्टबिन की खरीद हुई थी। इसकी आपूर्ति करने वाली एजेंसी को 1.42 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। ऑडिट के दौरान डस्टबिन खरीद में गड़बड़ी सामने आई थी। ऑडिट टीम की रिपोर्ट के बाद महालेखाकार ने इसके लिए अलग से टीम भेजी जो पिछले दो दिनों से जांच कर रही है।
सबसे अधिक रेट वाली कंपनी से खरीदे गए डस्टबिन
रिपोर्ट के अनुसार सबसे कम रेट पर टेंडर डालने वाली मुजफ्फरपुर की कंपनी को साइड कर चौथे नंबर की पटना की एक कंपनी को आपूर्ति का ऑर्डर दिया गया। मुजफ्फरपुर की कंपनी ने 111 रुपये प्रति डस्टबिन आपूर्ति का टेंडर डाला था। वहीं, तत्कालीन नगर आयुक्त ने सबसे अधिक रेट 210 रुपये प्रति डस्टबिन की आपूर्ति करने वाली पटना की एजेंसी को ऑर्डर दिया था। इस प्रकार निगम द्वारा खरीद में 74.25 लाख रुपये का अपव्यय किया गया है। यही नहीं एक ही दिन में टेंडर निष्पादन की प्रक्रिया पूरी कर दी गई। खरीद में नियमों की अनदेखी भी की गई है।
ऑटो टिपर की तरह ही किया गया डस्टबिन का भुगतान
3.85 करोड़ रुपये के ऑटो टिपर व मिनी पंप (सबमर्सिबल) घोटाले में फंसे तत्कालीन नगर आयुक्त रमेश प्रसाद रंजन फिर से घिर गए हैं। ऑटो टिपर खरीद घोटाले की तरह ही भुगतान की संचिका पर मेयर सुरेश कुमार का भी अनुमोदन है। जिस तरह एक ही दिन में भुगतान के लिए टिपर घोटाले की संचिका बढ़ाई गई थी ठीक उसी प्रकार डस्टबिन की आपूर्ति करने वाली एजेंसी को भी 1.42 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। नगर विकास एवं आवास विभाग के पास जब यह मामला पहुंचा तो विभाग ने फिर से महालेखाकार की दूसरी ऑडिट टीम भेजी है। जांच में लगी टीम में शामिल ऑडिटर फिलहाल कुछ भी बोलने से इन्कार कर रहे हैं। नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि महालेखाकार की टीम ऑडिट करने पहुंची है। इस मामले में विशेष जानकारी नहीं है। जांच चल रही है। जांच के बाद ही वे कुछ बता सकते हैं। फिलहाल जांच टीम का हर तरह का सहयोग किया जा रहा है।
इनपुट : जागरण