बार्ज P-305 का नाम आप कई दिनों से सुन रहे होंगे. चक्रवात तौकते (Cyclone Tauktae) के दौरान अरब सागर में बार्ज P-305 शिप डूब गया था. बार्ज का मतलब होता है, माल लादने वाली या लोगों को लाने ले जाने वाली लंबी संकरी नाव. बार्ज P-305 पर रेस्क्यू ऑपरेशन का आज (गुरुवार) चौथा दिन था. ताजा खबर ये है कि इस जहाज पर भारतीय नौसेना को 49 लोगों के शव मिल चुके हैं और अब भी 26 लोग लापता हैं.

लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई में बार्ज P-305 के डूबने के लिए तौकते तूफान को दोष दिया जा सकता है. क्योंकि जब पहले से तौकते की चेतावनी जारी कर दी गई थी, तब बार्ज P-305 को समय रहते सुरक्षित जगह पर क्यों वापस नहीं बुलाया गया, क्या इसी वजह से ये जहाज डूबा?

मुश्किल वक्त में पीठ दिखाकर भाग गया कैप्टन?

जब बीच में समंदर में सैकड़ों लोगों को साक्षात मौत दिख रही थी, तब भारतीय नौसेना 100 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाले तौकते तूफान से भिड़कर अंधेरे में जिंदगी खोज लाई. लेकिन आरोप है कि जहाज के जिस कैप्टन को ये काम करना चाहिए था, वो मुश्किल वक्त में पीठ दिखाकर भाग गया.

हवा की वजह से जहाज किसी अनजान प्लेटफॉर्म से टकराया

बार्ज P-305 के चीफ इंजीनियर के भाई आलम शेख कहते हैं हवा की वजह से जहाज किसी अनजान प्लेटफॉर्म से टकराया और उसमें छेद हो गया. इस बीच कैप्टन वैसल से भाग गया. आरोप है कि जहाज के कैप्टन और कंपनी दोनों ने तूफान की अनदेखी की, जिसने 263 लोगों की जान को मुश्किल में डाल दिया. उनको 300 लोगों की जान बचाने के लिए अपने जहाज को वापस लाना ही चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया. आरोप है कि जहाज पर फंसे लोगों ने जब लाइफ राफ्ट्स निकाले तो वो भी पंचर निकले.

भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के जवानों ने बचाई जान

दावा है कि जब मौत को देखकर जहाज का कैप्टन साथ छोड़ गया, तब भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के जवानों ने लोगों को बचाने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी. जब समंदर की लहरें जिंदगी को निगलने के लिए बेताब हो रही थी, जब ऊंची-ऊंची लहरों पर कई जिंदगियां छटपटा रही थीं, तब नेवी के जवान देवदूत बनकर दर्जनों लोगों को नई जिंदगी देने के लिए पहुंच गए.

बार्ज P-305 जहाज को समय रहते वापस क्यों नहीं बुलाया?

ऐसे में सवाल ये है कि जब तौकते तूफान को लेकर लगातार चेतावनी दी जा रही थी. समंदर न जाने की हिदायत दी जा रही थी, तब बार्ज P-305 जहाज को समय रहते वापस क्यों नहीं बुलाया गया? ये वो सवाल है जिसने एक साथ जहाज के कैप्टन से लेकर उस कंपनी को कटघरे में खड़ा कर दिया है, जिसके लिए बार्ज P-305 पर सवार 263 लोग काम कर रहे थे. आखिर ऐसा क्यों हुआ?

जब इसे लेकर आजतक ने अपनी पड़ताल शुरू की तो हमारे संवाददाता ने बार्ज P-305 के चीफ इंजीनियर रहमान शेख को ढूंढ निकाला, जो न सिर्फ इस पूरी घटना के चश्मदीद हैं, बल्कि आखिर तक अपने साथियों के साथ भी रहे. रहमान शेख के भाई ने आजतक से बातचीत में ये आरोप लगाया कि तूफान की चेतावनी को जहाज के कैप्टन से लेकर जहाज की मालिकाना कंपनी ने नजरअंदाज किया और आखिर में जब हालात बिगड़ गए तो जहाज का कैप्टन भाग निकला.

कैप्टन ने कहा कुछ नहीं होगा!

उन्होंने कहा कि जब आपको वॉर्निंग मिला तो आपने पुल आउट क्यों नहीं किया? सारे बोट आ गए थे शेल्टर में आप क्यों नहीं आए? मैंने बहुत बार कैप्टन को कहा वापस चलो, सेफ नहीं है, तूफान बढ़ेगा, लेकिन कैप्टन ने कहा कुछ नहीं होगा. हवा की रफ्तार 40 से ऊपर नहीं जाएगी. लेकिन जब अचानक 100 के ऊपर हवा की रफ्तार पहुंची तो सभी एंकर टूट गए. हवा की वजह से जहाज किसी अनजान प्लेटफॉर्म से टकराया और उसमें छेद हो गया, इतने में कैप्टन वहां से भाग गया. जिस कैप्टन पर जहाज की जिम्मेदारी थी, दावा है कि उसने न सिर्फ तूफान की अनदेखी की बल्कि वो अपने साथियों को मरने के लिए छोड़कर भाग गया. ये इल्जाम है बार्ज P-305 के चीफ इंजीनियर के.

आपको बता दें कि बार्ज P-305 मुंबई से 72 किलो मीटर दूर हीरा ऑयल फील्ड्स में खड़ा था. 16 मई को रात को जब तूफान आया तो सबसे पहले इसके सभी 12 लंगर टूट गए, जिससे जहाज डांवाडोल होने लगा और टक्कर से उसमें छेद हो गया. 17 मई की दोपहर तक बार्ज में पानी भरना शुरू हो गया. इस कारण जहाज पर मौजूद 260 से ज्यादा लोगों को जान बचाने के लिए पानी में कूदना पड़ा और 17 मई शाम 5 बजे ये जहाज पानी में पूरी तरह से डूब गया.

इनपुट : आज तक

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