प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले देश के 29 बच्चों ने अलग अलग क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. इनमें किसी ने टूटे हुए कांच पर नृत्य का करतब दिखाया तो किसी ने आतंकवादियों को बातचीत में उलझाकर अपने परिवार की जान बचाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ‘ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी’ का इस्तेमाल करते हुए इन बहादुर बच्चों को डिजिटल प्रमाणपत्र प्रदान किया।
इन बच्चों को सामाजिक सेवा, शैक्षिक क्ष्रेत्र, खेल, कला और संस्कृतिऔर वीरता की श्रेणियों में उनकी असाधारण उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत किया गया। 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के इन पुरस्कार विजेताओं में 15 लड़के और 14 लड़कियां शामिल हैं।
बाल पुरस्कार के विजेता हर साल गणतंत्र दिवस परेड में भी हिस्सा लेते हैं। प्रत्येक बाल पुरस्कार विजेता को एक पदक, 1 लाख रुपये नकद और प्रमाण पत्र दिया जाता है।
Earlier today, I got the opportunity to interact with the recipients of the PM Rashtriya Bal Puraskar 2022. These young achievers have done exemplary work across diverse sectors. India is proud of their remarkable achievements. pic.twitter.com/ELL3FXiINm
— Narendra Modi (@narendramodi) January 24, 2022
इन पुरस्कृत बच्चों में शामिल 16 साल की रेमोना एवेट परेरा भरतनाट्यम की हुनर रखती हैं। वह टूटे हुए कांच पर और आग के शोलों के बीच अपने हुनर का जलवा बिखेर चुकी हैं।
इसके लिए रेमोना का नाम ‘बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड-लंदन 2017’, ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2017’ और ‘भारत बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड 2017’ में आ चुका है।
वहीं 13 साल के गौरव माहेश्वरी हैंड राइटिंग एक्सपर्ट हैं। अपने इस कला के बल पर गौरव ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2017’ और ‘एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड 2017’ में भी अपना नाम दर्ज करा चुके हैं।
इसी तरह 13 साल के सैयद फतीन अहमद पियानो वादन में कई अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाएं जीत चुके हैं। बहादुरी के लिए बाल पुरस्कार पाने वाली शिवांगी काले ने 6 साल की उम्र में अपनी मां और बहन को करंट लगने पर बचाया था।
वहीं 14 साल के धीरज कुमार ने गंडक नदी में अपने भाई को घड़ियाल से बचाया था। सरकार ने 12 वर्षीय गुरुंग हिमाप्रिया को बाल पुरस्कार से सम्मानित किया है।
गुरुंग हिमाप्रिया जम्मू में फरवरी 2018 में हुए आतंकी हमले के समय हथगोला लगने से घायल हुई थीं। उन्होंने आतंकवादियों को चार से पांच घंटे बातचीत में उलझाए रखा और अपने परिवार को निशाना बनने से बचाया था।
Input : Lokmat News