मुजफ्फरपुर, सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च, स्वास्थ्य विभाग तथा जिला प्रशासन के सहयोग से सोमवार को समाहरणालय में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम पर मीडिया वर्कशॉप का आयोजन हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने डीईसी व एलवेंडाजोल की गोली खाकर की।
कार्यशाला के दौरान जिलाधिकारी ने कहा कि फाइलेरिया के लिए उन्मूलन वर्ष 2030 रखा गया है। इस मीडिया वर्कशॉप के माध्यम से सर्व जन दवा सेवन कार्यक्रम को जन-जन तक पहुंचाना है , ताकि लक्षित समाज के शत प्रतिशत लोग इस कार्यक्रम का लाभ ले सकें और फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में हम अग्रसर हों। कार्यशाला के दौरान जिलाधिकारी ने सभी समुदाय को इस कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। समाहारणालय परिसर से ही फाइलेरिया के चार प्रचार वाहन को रवाना किया गया। वर्कशॉप में सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा ने फाइलेरिया को नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज के अंतर्गत रखा और बताया कि इस बीमारी में मृत्यु तो नहीं आती पर यह आजीवन लोगों को अपंग बना देता है। आमतौर पर इस बीमारी को हांथीपांव भी कहते हैं। इसमें दो प्रकार की दवाएं दी जाती है एक डीईसी जिसका उपयोग माइक्रोफाइलेरिया को मारने में होता है और दूसरी दवा एलवेंडाजोल जो व्यस्क कीड़े को मारने के लिए प्रयुक्त होता है।
फाइलेरिया की जांच रात 9 बजे से 12 बजे तक रक्त के नमूनों से होती है। जिला संसाधन ईकाई के डीपीओ राकेश कुमार ने पीपीटी के माध्यम से कार्यक्रम पर व्यापक प्रकाश डाला। वहीं जिला संसाधन ईकाई के डीटीएल सौरभ तिवारी ने कहा कि 17 तरह के नेग्लेक्टेड ट्रॉपिकल डिजीज होते हैं जिसमें से फाइलेरिया भी एक है।
सामने खानी है दवा
कार्यशाला के दौरान जिला भीबीडीसीओ पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार ने कहा कि इस बार यह जोर देकर कहा जा रहा है कि दोनों दवा को सामने खिलाना है। इसका खास मकसद है। कई बार लोग दवाएं तो ले लेते हैं पर दवाओं का सेवन नहीं करते हैं। इस बार आशा के घर जाने पर भी वे सामने वालों को ही दवाएं देगी, बाकी के लोगों के लिए वह उनकी लाइन लिस्टिंग करेगी। सर्वजन दवा सेवन के 14 दिनों के इस कार्यक्रम में एक से छठे दिन तक दवा खिलाई जाएगी। वहीं 8 से 13 वें दिन तक छूटे हुए घरों में दवा खिलाई जाएगी और फिर भी अगर कोई छूट जाता है तो 14 वें दिन भी उनको दवा खिलाई जाएगी। हमें यह हमेशा याद रखना है कि एलवेंडाजोल की गोली को हमेशा चबाकर ही खाना है। डॉ सतीश ने कहा कि फाइलेरिया में लक्षण उभरने में 10 से 15 वर्षों का समय लगता है। अत: इसका बचाव ही इसका ईलाज भी है।
नुक्कड़ नाटक का हुआ मंचन
एमडीए कार्यक्रम की शुरूआत के अवसर पर समाहरणालय परिसर में ही नुक्कड़ नाटक का मंचन हुआ। जिसे हाजीपुर के कला कुंज बिहार के रंगकर्मियों ने पेश किया। नुक्कड़ नाटक का मकसद लोगों को फाइलेरिया व एमडीए कार्यक्रम से अवगत कराना था। नुक्कड़ नाटक में विवेक, ललन, पूजा, किरण, संजय कुमार, चून्नू ने रंगकर्म किया।
5 साल लगातार खानी है दवा
जिला भीबीडीसी पदाधिकारी डॉ सतीश ने कहा कि डीईसी और एलवेंडाजोल की दवा अगर 90 प्रतिशत लोग भी खाते हैं तो फाइलेरिया का उन्मूलन संभव है। इस वर्ष सर्वजन दवा कार्यक्रम को करीब 8 लाख घरों तक पहुंचाना है जिसमें 2045 गांव आते हैं। इतनी बड़े कार्यक्रम के लिए 2337 टीम को लगाया गया है। दो आंगनबाड़ी को मिलाकर एक टीम बनाई गयी है। जिसका पर्यवेक्षण 232 सुपरवाइजर करेगीं। जिला भीबीडीसी ने लोगों से अपील भी कि डीईसी व एलवेंडाजोल की गोली जरूर खाएं। वहीं इससे बचाव के लिए फुल स्लीव की कमीज एवं मच्छरदानी का भी प्रयोग करें। दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती स्त्रियों और गंभीर रोग के मरीजों को यह दवा नहीं खानी है। मौके पर डीपीआरओ कमल सिंह, सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा, जिला भीबीडीसीओ डॉ सतीश कुमार, आईसीडीएस डीपीओ चांदनी सिंह, भीबीडीसी सुधीर कुमार, पुरूषोत्तम कुमार, पीसीआइ के प्रतिनिधि संजय सिंह, केयर डीटीएल सौरभ तिवारी, डीपीओ ऑन संजीव कुमार, डीपीओ राकेश कुमार, जीविका हेल्थ एंड न्यूट्रीशन मैनेजर पुष्कल दत्त ,सीफार के प्रतिनिधि सहित मीडियाकर्मी शामिल थे।