मुजफ्फरपुर, शहर और आसपास के कुछ इलाकों में उपभोक्ताओं को इस महीने से पाइप लाइन के जरिए घरेलू गैस की आपूर्ति होनी थी, लेकिन घरेलू गैस पाइप लाइन की राह में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट रोड़े अटका रहा है। स्मार्ट सिटी कार्य के तहत कई जगहों पर चल रहे सड़क व नाला निर्माण के कारण गैस पाइप लाइन बिछाने का काम रुक गया है।
स्थिति यही रही तो लगता है कि इस साल के अंत तक तक भी लोगों को पाइप लाइन से घरेलू गैस नहीं मिल पाएगी। हालांकि इंडियन आयल कारपोरेशन का दावा है कि इस साल के अंत तक कार्य पूरा कर लोगों के घरों में पाइप के जरिए गैस पहुंचाई जाने लगेगी। इंडियन आयल कारपोरेशन के एरिया मैनेजर रवि किशन ने बताया कि काम तेजी से चल रहा है। जहां सड़क-नाली निर्माण का कार्य नहीं हो रहा उन इलाकों में पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है।
समस्तीपुर इलाके में दलसिंहसराय तक पाइप लाइन का काम पूरा हो चुका है। वहां दर्जनों लोगों के घरों में पाइप लाइन से गैस सप्लाई शुरू है। यह पाइप लाइन बरौनी से लाई जा रही है। एक ही पाइप में सीएनजी और पीएनजी दोनों की सप्लाई होगी। पेट्रोल पंपों पर सीएनजी गैस जाएगी और पीएनजी गैस घरेलू उपभोक्ताओं के किचन तक पहुंचेगी।
इन इलाकों में काम रुके
नाला, सड़क निर्माण कार्य के कारण कच्ची-पक्की चौक से अघोरिया बाजार चौक तक, हाथी चौक से लेप्रोसी मिशन तक और मोतीझील, कल्याणी, हाथी चौक आदि इलाकों में काम रुका हुआ है। जहां नाला, सड़क बन गई है वहां पाइप लाइन का काम हो रहा है। जमीन के साढ़े चार फीट नीचे से पाइप लाइन बिछाई जा रही है।
10 जोन में बांट कर चल रहा काम
शहर को 10 जोन में बांट कर पाइप लाइन बिछाने का काम चल रहा है। इनमें बेला, मिठनपुरा, इमलीचट्टी, भगवानपुर, आमगोला, अखाड़ाघाट, नदी के उस पार अखाड़ाघाट, बैरिया, ब्रह्मपुरा, पुलिस लाइन का इलाका शामिल हैं। इसके लिए 10 एजेंसियों को काम दिया गया है।
पीएनजी लोगों के लिए फायदेमंद
पाइप्ड नेचुरल गैस (पीएनजी) को आमलोगों के लिए काफी फायदेमंद बताया जा रहा है। अभी मिल रही लिक्विड पेट्रोलियम गैस एलपीजी नेचुरल गैस (एलपीजी) की तुलना में पीएनजी 25 से 30 प्रतिशत तक सस्ती है। इसमें कार्बन की मात्र काफी कम रहने के कारण यह पर्यावरण के अनुकूल है। इसे स्वच्छ ईंधन भी कहा जाता है। मुजफ्फरपुर जैसे शहर जहां प्रदूषण काफी अधिक है पीएनजी गैस के आने से प्रदूषण के स्तर में काफी सुधार होगा। पाइप से सप्लाई होने के कारण असमय गैस खत्म होने का तनाव भी नहीं रहेगा। सिलेंडर ढोने के झंझट से भी मुक्ति मिल जाएगी। मीटर लगा होने से उपभोक्ता खर्च का अनुमान भी आसानी से लगा लेंगे।
इनपुट : जागरण
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