जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट बनाने के नियम में हुई फेरबदल के बाद आवेदनों पर अचानक ब्रेक लग गया है. नगर निगम में रोजाना जमा होने वाले 50 से ज्यादा आवेदनों की संख्या घटकर 07-10 के बीच पहुंच गयी है. यानी पहले की तुलना में 80 फीसदी तक आवेदनों की संख्या में कमी आयी है. बड़ी संख्या में लोग आवेदन लेकर पहुंचते हैं, लेकिन जैसे ही जमा किये गये होल्डिंग टैक्स की रसीद की छायाप्रति लगाने की बात निगम कर्मी बताते हैं. आवेदन के साथ लोग वापस लौट जा रहे हैं. इससे जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट के आवेदन जमा करने के लिए हमेशा भीड़ रहने वाले कार्यालय में इन दिनों सन्नाटा पसरा है.


नहीं मिलती होल्डिंग टैक्स की रसीद
सबसे ज्यादा परेशानी तो शहरी क्षेत्र में सरकारी जमीन पर बसे लोगों को अपने बच्चे का जन्म या फिर परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु होने के बाद उसका सर्टिफिकेट बनाने में हो रही है. इनके पास होल्डिंग टैक्स से संबंधित कोई रसीद ही नहीं उपलब्ध है. इसके अलावा किराया पर मकान लेकर रहने वाले लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. उन्हें भी आवेदन के साथ जिस मकान में रहने हैं, उस मकान के होल्डिंग टैक्स रसीद की छायाप्रति लगाने को कहा गया है.


अस्पताल से जन्मे ग्रामीण क्षेत्र के लोगों का ही जमा हो रहा है आवेदन
नगर निगम में अभी वैसे ही लोग बिना होल्डिंग रसीद की छायाप्रति लगाये जन्म सर्टिफिकेट के लिए आवेदन जमा कर पा रहे हैं, जिनके बच्चे का जन्म शहरी क्षेत्र के निगम से रजिस्टर्ड अस्पतालों में हुआ है और उनका आवासीय पता ग्रामीण क्षेत्र का है. अस्पताल में बच्चों का जन्म हुए वैसे लोग भी वापस लौट रहे हैं, जिनका आवासीय पता शहरी क्षेत्र का है. उन्हें नगर निगम होल्डिंग टैक्स की अद्यतन रसीद की छायाप्रति लगाने का आदेश दिया जा रहा है. जन्म-मृत्यु शाखा के प्रभारी का कहना है कि होल्डिंग टैक्स जमा होने वाले रसीद की छायाप्रति लगे रहने वाले लोगों के ही आवेदन को स्वीकार किया जा रहा है. इस कारण बड़ी संख्या में लोग आवेदन करने से वंचित होकर वापस लौट रहे हैं.


फर्जी जन्म स्थान देकर बन जाता था सर्टिफिकेट!
नये नियम लागू होने से पूर्व शहरी क्षेत्र के किसी भी वार्ड में अपने बच्चों का जन्म स्थान बता फर्जी तरीके से लोग सर्टिफिकेट बनवा लेते थे. शपथ-पत्र में भी फर्जी जन्म स्थान दर्ज होता था. फिर भी बिना जन्म का कोई प्रूफ लगा आवेदन स्वीकार कर लिया जाता था. पिता व माता का सही नाम है. इसकी सत्यता जानने के लिए सिर्फ आधार कार्ड की छायाप्रति को लगा दिया जाता था. लेकिन, होल्डिंग टैक्स रसीद की छायाप्रति लगाने के बाद फर्जीवाड़ा पर ब्रेक लग गया है. उप नगर आयुक्त ओसामा इब्न मंसूर ने कहा कि पहले माता या पिता का आधार कार्ड लगता था. हमने दोनों अनिवार्य कर दिया है.


क्या कहते हैं अधिकारी
नगर आयुक्त विवेक रंजन मैत्रेय ने कहा कि किसी भी कीमत पर जमा होल्डिंग टैक्स की अद्यतन रसीद की छायाप्रति लगाये जन्म-मृत्यु सर्टिफिकेट के आवेदन को स्वीकार नहीं करना है. इसको लेकर प्रधान सचिव का ही स्पष्ट आदेश आया है. शहरी क्षेत्र का पता देने वाले लोगों को आवेदन के साथ होल्डिंग टैक्स की रसीद लगाना अनिवार्य है.

8 thoughts on “मुजफ्फरपुर में जन्म-मृत्यु के आवेदनों की संख्या हुई 80 फ़ीसदी कम, जाने कारण”
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