मुजफ्फरपुर, लोक आस्था के महापर्व छठ में आज अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य अर्पित किया जाएगा। कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार छठ पूजा के लिए बुधवार को शाम पांच बजकर 25 मिनट पर सूर्यास्त होगा। इसके बाद अर्घ्य करना बेहतर होगा। गुरुवार को उदीयमान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ छठ पर्व संपन्न हो जाएगा। आज लोग सुबह से ही प्रसाद तैयार कर रहे हैं। जगह जगह गीत बजने से माहौल पूरी तरह से छठमय हो गया है।
सायंकालीन अर्घ्य का महत्व
फलित दर्शन ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के पंडित प्रभात मिश्र का कहना है कि सूर्य को अर्घ्य देने से अनेक लाभ मिलते हैं। इससे शरीर में ऊर्जा आती है। रोगों से लडऩे की क्षमता बढ़ती है। सूर्य षष्ठी महाव्रत को तो अर्घ्य देने का खास महत्व है। इस दिन घाटों पर पुत्र, पति व स्वजन व्रतियों को अर्घ्य दिलवाते हैं। तांबे के पात्र में जल, एक चुटकी रोली, चंदन, हल्दी, अक्षत व लाल पुष्प डालकर गायत्री मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देने से सरकारी पद, स्वास्थ्य, धन व सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। उनका कहना है कि अर्घ्य में प्रयुक्त होने वाले सारी सामग्री औषधीय गुणों से परिपूर्ण होती है।
घर-आंगन व छत पर बने घाट
कोरोना संक्रमण कम होने से इस बार व्रतियों में काफी उत्साह है। गंडक नदी में घाट बनाए गए हैं। शहर के पोखर-तालाबों में भी दर्जनों घाट बने हैं। गली-मोहल्लों में व्रती घर-आंगन के साथ छत पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देंगे। शहर के कई मोहल्लों में सामूहिक पूजा के लिए भी घाट तैयार किए हैं। उनकी आकर्षक सजावट की गई है।
छठ घाटों पर नौका परिचालन रोकने को लेकर निषेधाज्ञा
मुजफ्फरपुर : छठ घाटों के निकट नदियों में नौका परिचालन पर आठ से 11 नवंबर तक रोक लगा दी गई है। इसके लिए एसडीओ पूर्वी ज्ञान प्रकाश ने धारा-144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है। इसके तहत किसी भी नदी घाटों पर निजी नौका का परिचालन नहीं होगा। कोई भी व्यक्ति गहरी नदी व तालाब में अघ्र्य देने या स्नान करने नहीं जाएगा। किसी टूटे तटबंध व दलदल नदी घाटों के पास अनावश्यक रूप से भीड़ नहीं लगाएंगे। नदी-तालाबों में किसी भी व्यक्ति के तैरने पर रोक रहेगी।
इनपुट : जागरण
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