नई दिल्ली: Phone का टूटना किसी के लिए भी बड़ा दुखदायी होता है. करीब सभी लोगों के जीवन में एक बार ऐसा समय जरूर आता है कि जब उनके फोन की स्क्रीन टूट गई हो. प्रमुख बात यह है कि स्मॉर्टफोन की एसेसरीज और पार्ट्स महंगे होते हैं. वहीं स्क्रीन बदलवाना भी सस्ता काम नहीं है. दो भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के वैज्ञानिकों की एक टीम ने ऐसा अविष्कार किया है जिसके माध्यम से आपके स्क्रीन बदलने की चिंता और अतिरिक्त खर्च बीते जमाने की बात हो सकती है.

जानें क्या है यह अविष्कार
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) खड्गपुर और भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (IIER) कोलकाता के शोधकर्ताओं की एक टीम ने हाल ही में एक पेपर प्रकाशित किया है. इसमें नई सेल्फ हीलिंग क्रिस्टलाइन मैटीरियल तकनीक का जिक्र किया गया है. इस तकनीक के द्वारा टूटे हुए ग्लास को फिर से उसके ओरिजनल फॉर्म में लाया जा सकेगा. शोधकर्ताओं का कहना है कि जीवित ऊतक और हड्डी में घाव भरने ने पिछले एक दशक में कई सिंथेटिक सेल्फ हीलिंग पॉलिमर, जैल और अन्य सॉफ्ट मैटीरियल का इस्तेमाल होने लगा है. हालांकि, क्रिस्टलीय सामग्रियों में इस तरह की मरम्मत की नकल करना एक चुनौती बनी हुई है क्योंकि वे कठोर होते हैं .

कुछ ऐसा है कॉन्सेप्ट
प्रोफेसर सी मल्ला रेड्डी के नेतृत्व में किया गया अध्ययन इस कांसेप्ट पर आधारित है कि मैकनिकल इंपेक्ट के परिणामस्वरूप अपूर्णीय क्षति नहीं होती है. टीम ने पोलर अरेंजमेंट के साथ सॉलिड मैटीरियल विकसित किया. मैटीरियल पीजोइलेक्ट्रिक है, जिसका अर्थ है कि यह मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में परिवर्तित कर सकता है.

सेल्फ हीलिंग तकनीक का है बड़ा फायदा
वैज्ञानिकों ने इसे कर के भी दिखाया. प्रयोग के दौरान सुई के आकार के क्रिस्टल से बना ग्लास का इस्तेमाल किया गया जो लगभग 2 मिमी लंबा और 0.2 मिमी चौड़ा था. इनमें से कई अपनी सतहों के बीच शक्तिशाली आकर्षक बलों की मदद से आपस में जुड़े हुए थे. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कांसेप्ट नया नहीं है. सेल्फ हीलिंग तकनीक का बड़ा फायदा इसकी मजबूती भी है. यह आम मैटीरियल की तुलना में 10 गुना अधिक हार्ड होता है. हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि हम बाजार में स्मार्टफोन पर तकनीक को कितनी जल्दी देख पाएंगे.

Source : Zee News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *