मुजफ्फरपुर। महंत दर्शन दास महिला महाविद्यालय में मंगलवार को अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के बैनर तले छात्राओं ने स्नातक और पीजी कोर्स में नामांकन के समय फीस लिए जाने के विरोध में प्रदर्शन किया। छात्राओं का कहना था कि सरकार की ओर से किसी प्रकार का शुल्क नहीं लेने का दिशानिर्देश है। ऐसे में कालेज की ओर से अवैध शुल्क लिया जा रहा है।

एक दिन पूर्व अभाविप की विष्णु प्रिया के नेतृत्व में छात्राओं ने इसी मुद्दे को लेकर प्राचार्य से मुलाकात की थी। प्राचार्य ने नियमानुसार फीस लेने की बात कही थी। मंगलवार को छात्राएं कालेज गेट पर पहुंचीं और प्राचार्य के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच प्राचार्य कालेज पहुंचीं। गेट खुलते ही छात्राएं गेट के भीतर प्रवेश करने लगी। गार्ड ने गेट बंद करने का प्रयास किया तो छात्राएं उग्र हो गई। इस क्रम में धक्का-मुक्की भी हुई।

छात्राओं ने आरोप लगाया कि गार्ड ने उनके साथ मारपीट की और दु‌र्व्यवहार किया। वहीं गार्ड विश्वजीत ने कहा कि छात्राओं ने धक्का-मुक्की की। उसकी वर्दी भी फाड़ दी। छात्राओं ने प्राचार्य कक्ष में ताला जड़ दिया और बाहर प्रदर्शन करने लगीं। कालेज की वरीय शिक्षकों की ओर से वार्ता का प्रयास किया गया पर छात्राएं मानने को तैयार नहीं थीं। विधि व्यवस्था बिगड़ता देख प्राचार्य ने मिठनपुरा पुलिस को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने छात्राओं को समझाकर शांत कराने का प्रयास किया, लेकिन छात्राएं फीस नहीं लेने की मांग पर अड़ी रहीं।

प्राचार्य ने कहा- नियमानुसार लिया जा रहा फीस एमडीडीएम कालेज की प्राचार्य डा.कनुप्रिया ने कहा कि सरकार के निर्देशानुसार छात्राओं से ट्यूशन और नामांकन फीस नहीं ली जा रही है। कालेज में दी जाने वाली सुविधाओं के लिए छात्राओं से वार्षिक शुल्क लिया जाता है। वह भी चालान के माध्यम से बैंक में जमा होता है। रजिस्ट्रेशन शुल्क, स्पो‌र्ट्स शुल्क, रेडक्रास का शुल्क, लाइब्रेरी, बिजली समेत अन्य सुविधाओं के लिए पीजी में छात्राओं से प्रति वर्ष 2045 रुपये लिए जाते हैं। विवि द्वारा पूछे जाने पर यह जानकारी पहले ही दी जा चुकी है। इस शुल्क में विवि का भी हिस्सा होता है।

छात्राओं को एक दिन पूर्व इसकी जानकारी दी गई थी। इसके बाद अगले दिन बिना कोई लिखित सूचना दिए छात्राओं ने प्रदर्शन किया। बाद में लेखापाल की ओर से इस फीस की पूरी जानकारी छात्राओं को दी गई। इसके बाद छात्राएं संतुष्ट हुई। छात्राओं ने प्राचार्य और शिक्षकों से सामूहिक रूप से माफी भी मांगी। कुलपति से भी इसकी शिकायत की गई है।

विवि के अधिकारी बोले- शुल्क लेना कालेज व विवि की मजबूरी

विवि के पदाधिकारी ने छात्राओं से फीस के मुद्दे पर लगातार हो रहे विवादों को देखते हुए कहा कि जिन मद में कालेज और पीजी विभाग शुल्क ले रहे हैं। यह उनकी मजबूरी है। सरकार की ओर से एक ओर आदेश आया कि शुल्क नहीं लेना है। नामांकन लेने वाले छात्राओं की संख्या के अनुसार सरकार इन शुल्कों का वहन करेगी। वर्ष 2016 और 2017 में छात्राओं से शुल्क नहीं लिया गया। सरकार को जानकारी दी गई पर उसके बदले आज तक किसी प्रकार की राशि सरकार ने नहीं दी। ऐसे में कालेज और विवि में छात्र-छात्राओं को सुविधा देने के लिए शुल्क लेना इनकी मजबूरी है। यदि सरकार की ओर से इस मद में राशि आती है तो छात्राओं से ली गई राशि लौटाई जा सकती है।

Source : Dainik Jagran

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