सीतामढ़ी: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पांच जनवरी से समाधान यात्रा पर हैं. इसके तहत वह विभिन्न जिलों में जा रहे और वहां विकास कार्यों का जायजा ले रहे. इस दौरान सीतामढ़ी में प्रशासन की लापरवाही देखने को मिली. छह जनवरी को नीतीश सीतामढ़ी में थे. उनकी अगवानी को लेकर प्रशासन स्कूली बच्चों का इस्तेमाल करते नजर आया. मुख्यमंत्री नीतीश का स्वागत करने के लिए स्कूली बच्चों को सुबह आठ बजे से ही खुले आसमान के नीचे ठंड में दोपहर दो बजे तक बिठाकर रखा गया. दलित टोले में स्कूली बच्चों को छह घंटे तक बिठा कर रखा गया. सीएम का इंतजार प्रशासन के निर्देश पर बच्चे करते रहे, लेकिन नीतीश कुमार को उनके पास जाने का समय ही नहीं मिला. मुख्यमंत्री बच्चों के पास दलित टोला नहीं पहुंचे.

स्थानीय लोग हुए आक्रोशित

इस मामले को लेकर स्थानीय लोगों ने नाराजगी व्यक्त की है. साथ ही मांग की है कि यहां स्कूलों में शिक्षकों की बहाली की जाए. सड़क, पानी नहीं है. पुल भी ध्वस्त हो गया है. शौचालय, सामुदायिक भवन बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि नीतीश यहां दलित टोला नहीं पहुंचे. हम लोग इंतजार करते रह गए. एक तरफ स्कूली बच्चों का इस्तेमाल हो रहा है तो वहीं दूसरी तरफ अब सवाल उठ रहा कि समाधान यात्रा के दौरान सीएम जनता के बीच नहीं जाएंगे और उनकी समस्याओं को नहीं सुनेंगे तो फिर समाधान कैसे निकलेगा ? लोकसभा चुनाव 2024 के लिहाज से नीतीश की समाधान यात्रा अहम है. यात्रा के दौरान मिशन दिल्ली के लिये जनता का मूड जानेंगे. नीतीश खुलकर खुद को विपक्ष के पीएम उम्मीदवार के तौर पर प्रोजेक्ट तो नहीं कर रहे, लेकिन उनकी नजर अब राष्ट्रीय राजनीति पर है और केंद्र की सियासत में अपनी ताकतवर मौजूदगी दर्ज कराना चाहते हैं.

29 जनवरी तक फिलहाल यात्रा पर मुख्यमंत्री

नीतीश कुमार विपक्षी दलों को एकजुट करने में लगे हैं. वैसे कहीं न कहीं पीएम की कुर्सी पर उनकी नजर है. जनता के मूड को समझना उनके इस यात्रा का हिडेन एजेंडा है. इस यात्रा में वह सरकारी कामकाज का जायजा ले रहे हैं. विकास योजनाओं की समीक्षा कर रहे हैं. शराबबंदी को लेकर जागरूकता अभियान भी चलेगा. इस यात्रा के बीच सीएम नीतीश कुमार की कोई जनसभा नहीं होगी. समाधान यात्रा का पहला चरण 29 जनवरी तक चलेगा. इसमें 18 जिलों को कवर किया जाएगा.

Source : abp news

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