करोना मुक्त हो गया है जिला। एक पॉजिटिव मरीज था वह भी नेगेटिव हो गया है। कोरोना की रफ्तार रोकने के लिए हर दिन पांच हजार से अधिक संदिग्धों के सैंपल की जांच में भी पॉजिटिव केस नहीं मिल रहे हैं। बावजूद इसके अभी भी पूरी सतर्कता बरती जा रही है। रेलवे जंक्शन पर सुरक्षाबलों की कमी के कारण जांच में कठिनाई हो रही है। इस बाबत सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा ने बताया कि चुनाव को लेकर रेलवे जंक्शन पर लगाए गए सुरक्षा बल फिलहाल नहीं है। जिससे परेशानी है। बावजूद इसके आशा को निर्देश दिया गया है कि वह अपने स्तर से हर वार्ड में नजर रखें। कोई संदिग्ध मिले तो उसकी सूचना दें। दीपावली व छठ नजदीक आते ही दूसरे राज्यों से प्रवासियों का आना शुरू हो गया हैं। हर दिन रेलवे स्टेशन पर हर दिन 16 से 18 हजार से अधिक यात्री उतर रहे हैं। लेकिन ना लाइन लगा उनका कोरोना जांच ही की जा रही है। ना ही स्क्रीनिंग ही हो रही हैं।
रेलवे स्टेशन पर 1800 से 2000 जांच हो पा रही
जानकारी के अनुसार जिला प्रशासन की ओर से जो दस होमगार्ड जवानों की तैनाती की गई थी। लाइन लगाने के लिये वह भी जवान वापस हो गये हैं। ऐसे में आ रही ट्रेनों से उतरने वाले प्रवासियों की कोविड जांच नहीं हो रही हैं। जो यात्री अपनी मर्जी से जांच करा रहे है, उन्हीं की जांच हो रही हैं। बाकी के यात्री बिना जांच कराये अपने घर जा रहे हैं। जांच प्रवेक्षक मनोज कुमार ने कहा कि किसी तरह से रेलवे स्टेशन पर 1800 से 2000 जांच हो पा रही हैं। छह काउंटर लगाये गये है जांच के लिए रेलवे स्टेशन पर यूटीएस काउंटर पर दो केंद्र, पूछताछ काउंटर पर दो केंद्र व बाहर गेट और एक बाहर निकलने वाले सीढ़ी के पास एक केंद्र लगाये गये हैं। ऐसे में जिले में कोरोना केस बढ़ने की आशंका जतायी जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि रेल पुलिस के सहयोग नहीं कर रही है, जिस कारण लाइन लगा जांच नहीं हो रहा। अगर आने वाले यात्रियों का जांच लाइन लगा नहीं किया गया तो एक बार फिर केस बढ़ सकते हैं। सिविल सर्जन डॉ विनय कुमार शर्मा ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रशासन ने रेलवे स्टेशन व बस पड़ाव पर आने वाले प्रवासियों की कोविड जांच लाइन लगा कराने का निर्णय लिया गया था। इसमें रेलवे पुलिस को सहयोग करने को कहा गया. एक से दो दिन रेलवे पुलिस ने लाइन लगा जांच कराया। इसके बाद से पुलिस बल नहीं आ रहे हैं।ऐसे में जो यात्री आकर जांच करा रहे उनका ही जांच हो रहा हैं।इससे रेल एसपी को भी अवगत कराया गया हैं।
स्कूली बच्चाें का नहीं हाे रहा काेराेना
तीसरी लहर की आशंका काे लेकर सरकार ने स्कूली बच्चाें का काेराेना जांच होना था। लेकिन जिला स्वास्थ्य विभाग ने सिर्फ एक ही स्कूल के बच्चाें की काेराेना जांच करा पाया। जांच के लिए स्कूल प्रबंधन भी आगे नहीं आ रहे है। जानकाराें का कहना है कि काेराेना जांच नहीं हाेने से बच्चाें के भविष्य पर संकट हाे सकता है। बता दे कि तीसरी लहर में बच्चाें के अधिक प्रभावित हाेने की आशंका वैज्ञानिकाें की ओर से जतायी गई थी। इसकाे लेकर प्रत्येक सरकारी व निजी विद्यालयाें में कैंप लगाकर बच्चाें की काेराेना जांच किया जाना था। निर्देश के बाद स्वास्थ्य विभाग ने इसके लिए टीम का गठन किया। लेकिन मिठनपुरा इलाके के सिर्फ एक ही स्कूल के करीब 150 बच्चे का ही जांच किया गया। हालांकि जांच में एक भी बच्चा पाॅजिटिव नहीं पाया गया। इसके बाद विभाग जांच कराना भूल गया और फिर किसी दूसरे विद्यालय में जांच के लिए कैंप भी नहीं लगा। सिविल सर्जन ने कहा कि अब इधर स्कूल खुलने लगे हैं । अभियान को गति दी जाएगी m हर स्तर पर जांच होगी ताकि कोरोना पॉजिटिव कि समय पर पहचान हो और नियंत्रण हो सके।
Source : Dainik Jagran
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