भारत में कोरोना से साढ़े तीन लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. यह दुनिया में अमेरिका और ब्राजील के बाद सबसे ज्यादा है. दूसरी लहर के बीच ये सवाल लगातार उठता रहा है कि क्या भारत में मौत के आंकड़ों की अंडर रिपोर्टिंग हुई है. यानी कोरोना से मौत का जो आंकड़ा सरकारें बता रही हैं, क्या वो आंकड़ा गलत है और क्या इससे कहीं ज्यादा मौतें हुई हैं.
इन सवालों के बीच देश में पहला ऐसा मामला आया है जब किसी राज्य ने पुरानी मौतों की गिनती करके मौत के आंकड़ों को अपडेट किया है. ये राज्य बिहार है, जहां पर कोरोना से मौत का कुल आंकड़ा 72 प्रतिशत तक बढ़ गया. कोरोना से मौत के मामले में बिहार पहले देश में 12वें नंबर पर था. नई गिनती के बाद वो पांचवें नंबर पर पहुंच गया. इससे सवाल ये उठे कि क्या मौत के आंकड़ों में गड़बड़ की गई?
सरकार पर आरोप है कि दूसरी लहर में मौत के आंकड़े छुपाए गए. ऐसा क्या हुआ कि जो सरकारें मौत के आंकड़े में हेराफेरी के आरोपों को खारिज कर रही थीं, उसमें से बिहार ने मौतों की फिर से गिनती शुरू कर दी. पुरानी मौतों को जोड़ना शुरू किया. क्या ये किसी मजबूरी में किया गया? कैसे इन पुरानी मौतों का पता लगाया गया?
दरअसल बिहार के बक्सर में गंगा किनारे लाशें तैर रहीं थीं, तो उस पर पूरे देश की नजरें टिकीं. दूसरी लहर में घर-घर कोरोना ने दस्तक दिया था. कई मौतें हुईं थीं. 7 जून तक बिहार में कोरोना से मौत का आंकड़ा 5,424 था. अगले ही दिन 8 जून को ये आंकड़ा अचानक 9,429 हो गया. यानी एक ही दिन में मौत का आंकड़ा 3,951 बढ़ गया. एक दिन में ये कैसे हो गया, कैसे अचानक इतनी मौतें बढ़ गईं. जब ये सवाल उठे तो पता चला कि ये पुरानी मौतें हैं, जिन्हें अब जोड़ा गया है. लेकिन फिर ये पूछा गया, कि जिन मौतों को अब गिना, उन्हें पहले क्यों नहीं बताया गया था?
प्रशासन ने बताया बहुत बड़ी महामारी!
बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि बहुत बड़ी महामारी थी प्रशासन सबको बचाने में लगा, लेकिन किसी भी स्तर पर लापरवाही होगी तो कार्रवाई होगी. इससे अजीब बात और क्या होगी, जब सफाई ये दी जाए कि महामारी बहुत बड़ी थी. सरकार लोगों को बचाने में लगी थी, इसलिए मौत के आंकड़े में भूल चूक हो गई होगी. मौत के नए आंकड़े पर तो खुद सरकार अपनी पीठ थपथपा रही है.
स्वास्थ्य मंत्री कुछ भी सफाई दें लेकिन कोरोना से मौत के आंकड़े छुपाने का आरोप बिहार सरकार पर इसलिए लग रहे हैं, क्योंकि मौत का ये नया आंकड़ा अचानक नहीं आया. 17 मई को पटना हाईकोर्ट ने बिहार सरकार को ऑर्डर दिया था कि वो कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों को अपने हर सोर्स से री-वेरिफाई करे, रिवाइस करे. ये ऑर्डर इसलिए दिया गया था कि क्योंकि कोरोना से हुई मौतों पर अलग अलग आंकड़ें दिए जा रहे थे. जैसे बक्सर में कोरोना से मौत पर दो अलग अलग रिपोर्ट थी.
रिपोर्ट में क्यों आ रहे अलग-अलग आंकड़े?
मुख्य सचिव की रिपोर्ट में ये कहा गया कि बक्सर में एक से 13 मई के बीच 6 लोगों की मौत हुई. जबकि पटना से जो रिपोर्ट भेजी गई थी उसमें बताया गया कि इस दौरान बक्सर के श्मशान में 789 लाशें जलाई गईं. अब अगर मौत के आंकड़े में इतना बड़ा अंतर होगा तो इसकी जांच, इसका ऑडिट तो होना ही चाहिए था. सवाल उठ रहे थे कि क्या मौत का आंकड़ा जानबूझ कर छुपाया जा रहा है.
हाईकोर्ट के आदेश के बाद 20 दिन में सरकार ने कोरोना से हुई मौतों का ऑडिट किया, जिसमें ये पाया गया कि करीब 73 प्रतिशत मौतें रिपोर्ट ही नहीं की गईं. जिन्हें अब मौत के कुल आंकड़े में जोड़ा गया. वेरीफाई करने के बाद पटना में 1070 मौतें, बेगूसराय में 316, मुज़फ्फरपुर में 314 और नालंदा में 222 मौतें जोड़ी गईं.
कैसे तैयार की गई रिपोर्ट?
हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद बिहार सरकार ने दो टीमें बनाई थीं, जिसमें एक टीम ने अस्पतालों में मौत का रिकॉर्ड देखा और दूसरी टीम ने उन लोगों की रिपोर्ट तैयर की, जिनमें कई की मौत घर में आइसोलेशन के दौरान हुई थी. कई लोगों की आइसोलेशन सेंटर, कोविड केयर सेंटर में जान गई थी. कई लोगों की मौत अस्पताल ले जाते वक्त हो गई थी और कई लोग की मौत कोरोना से ठीक होने के बाद भी हुई थी. इसके बाद जो रिपोर्ट तैयार हुई, उससे बिहार में कोरोना से मौत के आंकड़े में करीब 4000 मौतें जुड़ गईं. बिहार में विपक्ष का आरोप है कि ये आंकड़ा भी सही नहीं है. बिहार में आंकड़ों से 20 गुना ज्यादा मौतें हुई हैं.
घिर गई है बिहार सरकार!
आंकड़ों में हेराफेरी के आरोपों पर बिहार सरकार पहले से ही घिरी थी. इसी की वजह से कोरोना से मौत पर पीड़ित परिवार को चार लाख रुपये के मुआवजे का ऐलान भी किया था. इसी से मौत के आंकड़ों में हेराफेरी के आरोपों में अपना बचाव ढूंढ रही है. राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि सरकार की मंशा है कि संकट के समय में जो लोग इस कोरोना के कारण संकट ग्रस्त हुए वैसे सभी लोगों तक सरकार मदद पहुंचाए. बिहार पहला राज्य है जिसने कोरोना से 4 लाख का मुआवजा तय किया है. अब बिहार सरकार कुछ भी दावे करे लेकिन सवाल सिर्फ बिहार का नहीं है. सवाल पूरे देश का है. पहली बार किसी राज्य ने कोरोना से मौत के आंकड़ों में गडबड़ को माना है. इसलिए अब दूसरे राज्यों के आंकड़ों पर बड़े सवाल उठेंगे.
सरकार खुद कर रही अपनी तारीफ!
कोरोना से मौत के आंकड़े को अपडेट करने पर बिहार सरकार अपनी बड़ाई कर रही है कि इसमें छुपाने वाली कोई बात नहीं थी. क्योंकि आंकड़े तो खुद सरकार ने दिए हैं. लेकिन जब ये सवाल पूछा जाता है कि जिन पुरानी मौतें का अब हिसाब दिया जा रहा है और जिन्हें अब सरकारी रिकॉर्ड में जोड़ा जा रहा है, उन्हें उसी वक्त क्यों नहीं बताया गया.
इस पर सरकार के कई बहाने हैं. जैसे ये कि दूसरी लहर में काम का इतना लोड था कि कोरोना से हर मौत रिकॉर्ड नहीं पाए. दूसरी लहर में जिन लोगों की घरों में मौत हो गई,या अस्पताल में बेड ना मिलने से मौत हो गई, या अस्पताल जाते जाते मौत हो गई, उनके डेटा को सिस्टम में अपडेट नहीं किया गया था. इसे ही अब अपडेट किया गया है. लेकिन सवाल सिर्फ बिहार का नहीं है. पूरे देश में जगह जगह कोरोना से मौत के आंकड़ों पर सवाल उठे हैं.
इनपुट : आज तक