Darbhanga: बिहार के मिथिलांचल की पहचान के बारे में कहा जाता है कि ‘पग-पग पोखरि माछ मखान’ यानी इस क्षेत्र की पहचान पोखर (तालाब), मछली और मखाना से जुड़ी हुई है. लेकिन हाल के दिनों में मिथिलांचल में बना अचार भी चर्चा में है. आम से बना अचार हो या नींबू और मिर्च का, मिथिलांचल के घरों में बने अचार का स्वाद लोगों को पसंद आ रहे हैं. दो महिलाओं द्वारा ‘झा जी ब्रांड’ अचार की चर्चा तो इन दिनों में पूरे देश में हो रही है. ऐसे तो मिथिलांचल के करीब सभी घरों में आम के मौसम में अचार बनाने का कार्य होता है लेकिन दरभंगा की ननद, भाभी ने इसे ही व्यवसाय बना लिया, जिसकी पहचान आज देश के कोने-कोने में हो रही है.

ऑनलाइन शुरू किया था बिजनेस

बिहार के दरभंगा शहर की 52 वर्षीय कल्पना और 51 वर्षीय उमा झा ने ‘झा जी’ नाम से ऑनलाइन अचार बिजनेस की शुरूआत की है. उल्लेखनीय है कि मिथिलांचल में झा जी एक टाइटल होता है जो आज अचार का जाना पहचाना नाम बन गया है.

कल्पना कहती हैं, “प्रारंभ से ही अन्य महिलाओं की तरह घर में अचार में बनाती थी. पति भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी थे, उनके रिटायर करने के बाद घर में अपने लिए समय निकालने को सोची और दिमाग में व्यवसाय करने का विचार में आया तो अचार के विषय में सोची. इसके बाद इसकी तैयारी शुरू कर दी.’ उन्होंने बताया कि पहले 10 तरह के अचार के साथ काम की शुरूआत की थी और आज उनके पास 15 तरह के अचार हैं. जिनमें पांच तरह के आम के अचार, लहसुन, हरी मिर्च, गोभी, इमली की चटनी शामिल है.

शुरू में आई परेशानी

उन्होंने बताया शुरू में तो कई परेशानियां आई, लेकिन बाद में परेशानियां कम होती चली गई. इस काम में भाभी उमा झा ने भी साथ दिया. इसके बाद अक्टूबर 2020 में बिजनेस के लिए आवेदन दिया था, जिसके बाद कई औपचारिकता को पूरा करने के बाद जून, 2021 में ‘झा जी’ स्टोर की ऑनलाइन शुरूआत हो गई. कल्पना के बेटे मयंक ने ऑनलाइन मार्केटिंग आदि का काम संभाला. इसके बाद तो काम निकल पड़ा. दिन प्रतिदिन ऑनलाइन आर्डर की संख्या लगातार बढ़ती गई.

प्रारंभ में 250 किलोग्राम के जार में अचार की पैकिंग कर आपूर्ति की जाती थी, लेकिन अब 250 और 500 ग्राम जार में अचार की आपूर्ति की जा रही है.

पारंपरिक तरीके से होता है तैयार

उन्होंने बताया कि इसमें शुद्ध चीजों को मिलाया जाता है. उमा बताती हैं, “झा जी अचार की खूबी इसका पारंपरिक तरीके से तैयार किया जाना है, जिसमे क्षेत्रीयता की खुशबू होती है. पारम्परिक बिहारी तरीके से तैयार अचार की मांग आज सभी राज्य में है.’ वे बताती हैं कि जब कल्पना ने इस व्यवसाय में जुड़ने की बात कही तो मैं तुरंत तैयार हो गई. उन्होंने कहा कि इसके बाद ननद और भाभी ने व्यवसाय के क्षेत्र में कदम रख दिया.

उन्होंने बताया कि प्रतिदिन 400 से 500 किलोग्राम अचार तैयार किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज इस कार्य में आसपास की 10 महिलाओं को भी लगाया गया है तथा कुछ युवा भी कार्य में जुटे हुए हैं.

कोरोना काल में बने सबसे ज्यादा ग्राहक

‘झा जी’ स्टोर के सबसे अधिक ग्राहक कोरोना काल में बने. आज इस स्टोर के कई ऐसे ग्राहक हैं जो लगातार ऑनलाइन आर्डर देते हैं. कल्पना ने कहा कि उन्हें सबसे अधिक आर्डर दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्रों से मिलते हैं. मुंबई, बेंगलुरु और पश्चिम बंगाल से खूब ऑर्डर्स मिल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि हाथ से बने इस अचार को लोग खूब पसंद कर रहे हैं. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि इस अचार में मसाले का उपयोग भी घर में तैयार किए गए मसाला होता है, जिसकी अपनी खुशबू और स्वाद होता है. कल्पना ने बताया, “अभी तो हम अपने घर से ही काम करते हैं, लेकिन जल्द ही इसके लिए हम नया मैन्युफैक्च रिंग यूनिट डालने वाले हैं.” उन्होंने बताया कि झा जी स्टोर की शुरूआत 6 लाख रुपए से की गई थी जबकि आज इसका प्रति महीने टर्न ओवर 10 से 12 लाख है.

Source : Zee News

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