राज्य सरकार ने मंगलवार की मध्य रात्रि से सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल (प्लेट, कप, ग्लास, कांटा, चम्मच, कटोरी, पानी पाउच या बोतल, प्लास्टिक झंडे, बैनर) के विनिर्माण, आयात, भंडारण, वितरण, विक्रय, परिवहन व उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।

प्रतिबंध के बाद यदि किसी ने भी सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल का उपयोग किया तो उसे एक लाख रुपये जुर्माना और पांच साल तक की सजा हो सकती है। इस बाबत गजट जारी किया गया है। कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति राज्य में 14 दिसंबर की मध्य रात्रि से सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल के प्रतिबंध का उल्लंघन नहीं करेगा। यदि कोई ऐसा करते पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के अंतर्गत दिए गए प्रावधान के तहत कार्रवाई की जाएगी।

बिहार नगरपालिका अधिनियम 2007 की धारा 421 एवं 422 के तहत बनाई गई उप-विधियों के अनुरुप जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी। सरकार का कहना है कि सिगल यूज प्लास्टिक और थर्मोकोल जैव विघटेय नहीं है और इनको जलाने से विषाक्त गैसों का उत्सर्जन होगा, जो मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। ये नालियों के बहाव को अवरुद्ध करते हैं। जमीन की उर्वरा शक्ति को कमजोर करते हैं। खाद्य पदार्थ के साथ इसे खाकर जानवर जान तक गंवा बैठते हैं। इसे देखते हुए सरकार ने इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है।

Source: Dainik Jagran

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