मुजफ्फरपुर, जासं। ट्रक चालकों की हड़ताल का असर दूसरे दिन भी जिले में दिखा। जिले से होकर गुजरने वाले विभिन्न एनएच पर करीब एक लाख ट्रकों के पहिए जस के तस स्थिर हो जाने से करीब 20 किमी लंबी कतारें लगी दिखीं। ट्रक ऑपरेटर्स अपनी मांगों को लेकर टस से मस नहीं हुए हैं। इससे अभूतपूर्व जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। निर्माण कार्य संबंधी सामग्री से लेकर फल एवं सब्जियों की मंडियों तक आवक कम हो गई है। हालांकि अभी बाजार पर इसका असर कम पड़ा है। उधर, बिहार राज्य ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के सदस्यों ने मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया।

मांगें पूरी होने तक जारी रहेगी हड़ताल

बिहार प्रदेश ट्रक ऑनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष भानु शेखर प्रसाद सिंह व मुजफ्फरपुर जिलाध्यक्ष दिवाकर शर्मा ने बताया कि पूरे बिहार में तकरीबन पांच लाख एवं मुजफ्फरपुर में एक लाख से अधिक ट्रक हड़ताल पर हैं।

ट्रक ऑपरेटरों ने दो टूक कहा कि जबतक सरकार अपना आदेश वापस नहीं लेती, आंदोलन जारी रहेगा। मालूम हो कि ट्रक ऑपरेटर्स सरकार के उस फैसले से नाराज हैं, जिसके मुताबिक ज्यादा बड़े ट्रकों को बालू और गिट्टी की ढुलाई करने से रोक दिया गया है। हाईवे पर डेरा डालो के तहत ट्रक खड़ा कर हड़ताल को सफल बनाने की कोशिश की जा रही है। सदस्यों ने कहा कि राज्य सरकार की गलत नीति के कारण हड़ताल मजबूरी बन गई है।

एक-दो दिनों में दिखने लगेगा असर

अगर एक-दो दिन और हड़ताल जारी रही तो जरूरी सामान की कीमतों में बढ़ोत्तरी की आशंका जताई जा रही है। अन्य दिनों की अपेक्षा बालू-गिट्टी, छड़, सीमेंट, फल एवं सब्जियां बाजार में कम आई। इसका असर डीजल की बिक्री पर भी पड़ा है। बाजार समिति फल विक्रेता संघ के नंदू साह ने कहा कि रविवार को एक-दो ट्रक ही फल मंडी में पहुंच सके। वहीं बिहार राज्य खाद्यान्न व्यवसायी संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष दिलीप कुमार ने कहा कि एक-दो दिनों में आवक नहीं हुआ तो, आलू-प्याज सहित अन्य वस्तुओं के दाम बढ़ जाएंगे।

कंपकंपाती ठंड में भी सड़कों पर डटे हैं चालक

हड़ताल की वजह से ट्रक चालक जहां-तहां एनएच पर फंस गए हैं। वे सड़कों पर इस कंपकंपाती ठंड में रात गुजारने को विवश हैं। सदातपुर के पास दरभंगा मोड़ पर सैकड़ों ट्रक चालक टेंट गिराकर रात गुजार रहे हैं। ठंड से बचने के लिए इन्हें आग का ही सहारा है। इन चालकों का कहना है कि सरकार को ट्रक चालकों की परेशानी और पीड़ा नहीं दिखाई दे रही है।

इनपुट : जागरण

2 thoughts on “Truck strike : ऑपरेटर्स नहीं टस से मस, एक लाख ट्रको के पहिए जस के तस”
  1. A tecnologia está se desenvolvendo cada vez mais rápido, e os telefones celulares estão mudando cada vez com mais frequência. Como um telefone Android rápido e de baixo custo pode se tornar uma câmera acessível remotamente?

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