Mauni Amavasya 2022 : माघ मास में पड़ने के कारण इसे माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. वहीं जब अमावस्या तिथि सोमवार के दिन पड़ती है, तो इसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है. हिन्दू धर्मशास्त्रों में सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. सोमवती अमावस्या के दिन व्रत, पूजन और गंगा स्नान का विशेष महत्व है. महिलाएं इस दिन पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं. वहीं पितृ दोष निवारण के लिए भी इस दिन अत्यंत शुभ माना गया है. जानें कब है सोमवती अमावस्या, मौनी अमावस्या या माघी अमावस्या ?
मौनी अमावस्या तारीख और समय
इस बार माघ मास की अमावस्या तिथि 31 जनवरी, सोमवार, दोपहर 02:18 मिनट मिनट पर शुरू होगी और 1 फरवरी मंगलवार को सुबह 11:16 मिनट तक रहेगी.
मौनी अमावस्या को काफी पुण्य फलदायी माना गया है
मौनी अमावस्या के साथ ही 31 जनवरी के दिन साल 2022 की पहली सोमवती अमावस्या है. माघ मास में पड़ने के कारण इसे माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या भी कहा जाता है. मौनी अमावस्या को काफी पुण्य फलदायी माना गया है. सोमवार के दिन मौनी अमावस्या का संयोग होने से इस अमावस्या का महत्व बहुत ज्यादा बढ़ गया है. हालांकि गंगा स्नान के लिए मंगलवार का दिन ज्यादा उत्तम रहेगा, लेकिन पितरों के लिए सोमवार के दिन कुछ विशेष कार्य जरूर कर सकते हैं.
सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का शुभ संयोग
मौनी अमावस्या के दिन पितरों के नाम जल में तिल डालकर दक्षिण दिशा की ओर तर्पण करना चाहिए.
अमावस्या तिथि पितरों को समर्पित होती है ऐसे में इस दिन पितरों के नाम तर्पण करने से उन्हें तृप्ति मिलती है और वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
सोमवती या मौनी अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष का पूजन करें और पीले रंग के पवित्र धागे को 108 बार परिक्रमा करके बांधें.
पीपल के नीचे एक दीपक जलाएं ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और परिवार में खुशहाली आती है.
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए. पूजन से पहले खुद पर गंगाजल जरूर छिड़कें. अगर आप इस दिन पितरों के निमित्त गीता के सातवें अध्याय का पाठ करेंगे, तो इससे उनके कष्ट दूर होंगे और पितर प्रसन्न होंगे.
पितरों का ध्यान करते हुए मौनी अमावस्या के दिन दान जरूर करें. आप किसी भी जरूरतमंद को अन्न, वस्त्र आदि कुछ भी दान कर सकते हैं.
यदि संभव हो तो सोमवती अमावस्या या मौनी अमावस्या के दिन पीपल का एक पौधा लगाएं और इस पौधे की सेवा भी करें. ऐसा करने से पितर बेहद प्रसन्न होते हैं.
आपके द्वारा लगाया गया पीपल का पौधा जैसे जैसे बड़ा होगा, आपको अपने पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होगा और आपके घर के सारे संकट धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे.
वैसे तो पीपल का पौधा किसी भी अमावस्या को लगाया जा सकता है, लेकिन सोमवती अमावस्या और मौनी अमावस्या का संयोग आसानी से नहीं मिल पाता ऐसे में यह शुभ संयोग 31 जनवरी को मिल रहा है.
इनपुट : प्रभात खबर