मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बिहार विधानसभा चुनाव में जीती हुई बाजी हारने वाले पूर्व मंत्री सुरेश कुमार शर्मा ने दर्द बयां क्या किया, पार्टी में तकरार शुरू हो गई। पूर्व मंत्री व मुजफ्फरपुर से भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़े सुरेश शर्मा ने हार के लिए इशारों में पार्टी संगठन की कार्यशैली को जिम्मेदार ठहरा दिया। उन्होंने कहा कि संगठन को राज्य व केंद्र स्तर के अलावा उम्मीदवार के स्तर से सहयोग मिला। मगर, संगठन की ओर से उम्मीदवारों को अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। यह भी हार का एक कारण बना। इस तरह की कार्यशैली कांग्रेस में थी। यह अब भाजपा की होती जा रही है।

जिलाध्यक्ष ने भी पलटवार किया

संगठन की इस कार्यशैली की जांच का उन्होंने मुद्दा उठाया तो भाजपा जिलाध्यक्ष ने भी पलटवार किया है।

जिलाध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा कि पार्टी का विरोध करना या भितरघात करना भाजपा कार्यकर्ताओं का संस्कार नहीं है। भाजपा की भी यह संस्कृति नहीं है। उन्होंने कहा, विधानसभा चुनाव में सभी विधानसभा में भाजपा के कार्यकर्ताओं ने एनडीए उम्मीदवारों को विजयी दिलाने का हरसंभव प्रयास किया। कई विधानसभा में भाजपा के साथ सहयोगी दल के उम्मीदवार की भारी मतों से जीत हुई।

बूथ तक नहीं पहुंचे परंपरागत वाेटर

हालांकि, कहीं न कहीं समन्वय एवं प्रबंधन में चूक रह जाने के कारण कई विधानसभा में हम जीतते-जीतते हार गए। पार्टी कार्यकर्ता चुनाव को लेकर खासे उत्साहित भी थे। मगर हम अपने परंपरागत वोटरों को घर से निकाल कर मतदान कराने में शत प्रतिशत सफल नहीं हुए। इस वजह से हमारी पराजय हुई। वहीं जो यह आरोप लगा रहे कि संगठन या कार्यकर्ता की वजह से चुनाव हार गए तो उन्हें भी आत्मचिंतन की आवश्यकता है। चुनाव में यदि कहीं किसी कार्यकर्ता की उपेक्षा होती है या उचित सम्मान नहीं मिलता है तो उत्साह की कमी से कुछ समय के लिए निष्क्रियता आ सकती है। इसका मतलब यह नही कि वह दल विरोधी कार्य कर संगठन को नुकसान पहुंचाए।

इनपुट : जागरण

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