यूपी चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का दावा करने वाले मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी एक भी सीट जीतने में कामयाब नहीं दिख रही है. यूपी विधानसभा चुनाव में जीत तो दूर सहनी की पार्टी यहां कहीं मुकाबले में भी नजर नहीं आ रही है. चुनाव परिणाम के आंकड़े जैसे जैसे सामने आ रहे हैं, वैसे वैसे मुकेश सहनी की नाव डूबती दिख रही है. यहां तक कि यूपी में जिन सीटों पर मुकेश सहनी ने जीत का दावा किया था वहां वीआईपी को जमानत बचाना भी मुश्किल हो रहा है.
165 सीटों पर उम्मीदवार उतारने का दावा करने के बाद सहनी ने उत्तर प्रदेश में 53 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे. यहां तक कि सहनी ने भाजपा के दो सिटिंग विधायकों को भी टिकट देकर चुनाव लड़ाया. लेकिन दोनों सीटिंग विधायक कुछ कमाल नहीं कर पा रहे हैं. बीजेपी छोड़कर सहनी की शरण में आए बलिया के बैरिया से वीआईपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे निर्वतमान विधायक सुरेंद्र सिंह भी खास प्रदर्शन नहीं कर पाए. बताया जा रहा है कि वह यहां चौथे स्थान पर हैं.
नहीं खिलने देंगे कमल-सहनी
बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टी और नीतीश सरकार में शामिल मंत्री मुकेश सहनी ने यूपी चुनाव में अकेले ताल ठोका है. बिहार में बीजेपी की सहयोगी सहनी ना केवले अकेले यूपी चुनाव लड़ रही थी बल्कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का दम भर रही थी. चुनाव से पूर्व सहनी ने यूपी के सभी प्रमुख अखबारों में विज्ञापन देकर बीजेपी के खिलाफ हल्ला बोला था. तब सहनी ने बीजेपी के खिलाफ स्लोगन दिया था- दिखाएंगे निषादों का बल, नहीं खिलने देंगे कमल.
अब एमएलसी सीट बचाने की चुनौती
सहनी ने कहा था कि बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना ही उनका प्रमुख लक्ष्य है. मुकेश सहनी ने कहा था कि हमारी लड़ाई दिल्ली से है, निषाद समुदाय को आरक्षण दिलाना ही हमारा प्रमुख लक्ष्य है. साहनी ने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जब हम योगी सरकार को सत्ता से बेदखल कर देंगे तब अहसास होगा कि निषाद समुदाय बीजेपी से कट चुका है. बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने का दावा करने वाले सहनी पर अब बिहार में मंत्रीपद बचाने के लिए एमएलसी सदस्य बनने की चुनौती हौ. सहनी को बीजेपी ने एमएलसी चुनाव में एक भी सीट नहीं दी है.
Source : TV9