पटना, बिहार विधानसभा चुनाव मे लगभग सभी छोटी बड़ी पार्टीया किसी ना किसी से गठबंधन बना कर चुनाव लड़ रही है. ऐसे मे बहुत सारे नेताओं के टिकट कतना संभव है. लेकिन कुछ नेता ऐसे मे पार्टी के साथ बगावत करके निर्दलीय या फिर किसी और पार्टी के साथ मिलकर चुनाव मे किस्मत आजमाने से बाज नहीं आते. बीजेपी मे कुछ ऐसे नेता है जिनका गठबंधन के कारण टिकट कट गया. और वे इसे बर्दास्त नहीं कर पाए और किसी और पार्टी का दामन थाम के चुनावी समर मे कूद पड़े. ऐसे मे बीजेपी को काफ़ी नुकसान उठाना पड़ सकता है. जिसपे बीजेपी ने कड़ा रूख अखित्यार करते हुए उन नेताओं को चेतावनी दी थी की कोई भी दूसरे दल से चुनाव लड़ रहे हैं, वो अपना नाम वापस ले लें। ऐसा नहीं होने पर पार्टी की ओर से उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। सोमवार को पहले चरण के लिए नाम वापसी की तिथि समाप्त हो गई लेकिन किसी ने भी अपना नाम वापस नहीं लिया। इसे देखते हुए भाजपा ने अपने नौ नेताओं को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है।

भाजपा ने अपने जिन नेताओं को बाहर का रास्ता दिखा गया है उसमें नोखा के पूर्व विधायक रामेश्वर चौरसिया, दिनारा से चुनाव लड़ रहे प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष राजेन्द्र सिंह, पटना ग्रामीण से डॉ उषा विद्यार्थी, अनिल कुमार, झाझा से रवीन्द्र यादव, भोजपुर से श्वेता सिंह, जहानाबाद से इंदू कश्यप, बांका से मृणाल शेखर व जमुई से अजय प्रताप शामिल हैं। भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता व विधान पार्षद डॉ संजय मयूख ने कहा कि इन नेताओं के निष्कासन का निर्णय प्रदेश भाजपा अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल की सहमति के बाद लिया गया है।

गौरतलब है कि ये सभी नौ नेता चुनावी मैदान में डटे हैं। इसमें रामेश्वर चौरसिया सासाराम से, राजेन्द्र सिंह दिनारा से, उषा विद्यार्थी पालीगंज से, श्वेता सिंह संदेश से, झाझा से रवीन्द्र यादव, जहानाबाद से इंदू कश्यप, अमरपुर से मृणाल शेखर, अनिल कुमार बिक्रम तो अजय प्रताप जमुई से एनडीए प्रत्याशियों के खिलाफ चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। अजय प्रताप रालोसपा तो अनिल कुमार निर्दलीय चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं। बाकी सातों प्रत्याशी लोजपा के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे हैं। सभी नौ प्रत्याशी एनडीए के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं

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