मुजफ्फरपुर. एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड में भर्ती कांटी प्रखंड की तीन साल की बच्ची शिवानी कुमारी की इलाज के दौरान मौत हो गयी. वह गोविंद फुलकाहा के दीपक पासवान की बेटी थी. जिले में एइएस से यह पहली बच्ची की मौत है. इससे पहले एइएस से वैशाली व सीतामढ़ी में एक-एक बच्चे की मौत हो चुकी है. इस साल एइएस से अब तक तीन बच्चों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा नरकटियागंज स्थित कोइया गांव के सात साल के एइएस पीड़ित आनंद कुमार को स्वस्थ हो जाने पर डिस्चार्ज कर दिया गया.
अब तक 45 केस आये
उपाधीक्षक सह शिशु विभागाध्यक्ष डॉ गोपाल शंकर सहनी ने बताया कि 31 मई को कांटी निवासी दीपक पासवान ने अपनी तीन साल की बेटी शिवानी को पीकू वार्ड में भर्ती कराया था. उसकी हालत गंभीर थी. एइएस प्रोटोकॉल के तरह उसका इलाज शुरू किया गया, लेकिन मंगलवार की देर रात उसकी मौत हो गयी. नरकटियागंज के कोइया गांव निवासी विनोद यादव ने 19 मई को अपने सात साल के पुत्र आनंद कुमार को भर्ती कराया था. उसमें भी एइएस की पुष्टि हुई थी. एक जून को स्वस्थ होने पर उसे डिस्चार्ज कर दिया गया. इस साल अब तक एइएस के 45 केस आ चुके हैं. इनमें से 41 मरीज स्वस्थ हुए हैं.
बच्चे को टेंपो से लेकर पहुंचे एसकेएमसीएच के पीकू
मुजफ्फरपुर के कांटी गोविंद फुलकाहा की तीन साल की जिस शिवानी की मौत एइएस से हुई है, उसे जब चमकी बुखार आया था, तो एसकेएमसीएच के पीकू वार्ड पहुंचने से पहले गांव के ही एक प्रैक्टिशनर ने उसे इंजेक्शन दिया था. उसके बाद भी जब तबीयत में सुधार नहीं हुआ, तो परिजन ने झाड़फूंक तक कराया था. तबीयत अधिक बिगड़ने लगी, तो आनन-फानन में परिजन उसे निजी टेंपो भाड़ा कर एसकेएमसीएच पहुंचे. एसकेएमसीएच में खोले गये वाहन के भुगतान काउंटर से उसे भाड़ा नहीं दिया गया. इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग के एइएस की तैयारी की पोल खोल दी. अपनी लाडली शिवानी को खोने के गम में गुड्डी देवी की हालत खराब है. वह अपने नैहर में है. परिजनों ने बताया कि बच्चा बीमार पड़ा, तो टेंपो से लेकर एसकेएमसीएच लेकर गये. वहां पर इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया.
जांच के लिए गांव पहुंचे सीएस
बच्ची की मौत की सूचना पर सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा व जिला वेक्टर जनित रोग पदाधिकारी डॉ सतीश कुमार उसके घर पहुंचे. वहां पर मृत बच्ची की मां से मुलाकात नहीं हुई. उसके पिता दीपक पासवान से जानकारी ली. सीएस ने कहा कि एइएस पीड़ित को पहले प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस संबंध में पीएचसी प्रभारी से रिपोर्ट मांगी गयी है. रिपोर्ट मिलने के बाद वे समीक्षा करेंगे कि आखिर किस स्तर पर चूक हुई. सिविल सर्जन ने लोगों से बच्चों को दिन में धूप से बचाव के साथ ही रात में खाली पेट नहीं सुलाने की अपील की. उन्होंने चमकी बुखार के लक्षण दिखते ही तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र से संपर्क करने को कहा.
इनपुट : प्रभात खबर
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