कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए टीका लगाने के लिए लोगों से अपील के तौर पर केंद्र सरकार द्वारा जारी ‘डायल ट्यून’ को उच्च न्यायालय ने लोगों को परेशान करने वाला बताया। न्यायालय ने सरकार से कहा कि जब आपके पास पर्याप्त मात्रा में टीका उपलब्ध नहीं है तो आप कब तक इस डायलर ट्यून के संदेश के जरिए लोगों को परेशान करेंगे।

जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने टीके की कमी पर सवाल उठाते हुए यह टिप्पणी की है कि किसी को कॉल किए जाने पर पहले लंबा सा यह संदेश चलाया जाता है।हमें नहीं पता, यह कितना लंबा चलेगा, खासकर तब जब आपके पास टीका नहीं है। न्यायालय ने कहा कि आप लोगों को टीका नहीं लगा रहे हैं, काफी संख्या में लोग इसके लिए इंतजार कर कर रहे हैं, बावजूद इसके आप कह रहे हैं कि टीके लगवाइए। उच्च न्यायालय ने कहा कि जब टीका है ही नहीं तो कौन लगवाएगा।  ऐसे में मोबाइल के डालय ट्यून के जरिए टीका लगाने के लिए किए जा रहे अपील का क्या महत्व रह जाएगा।

दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार से कहा कि आपको हर व्यक्ति का टीकाकरण करना चाहिए। भले ही आप इसके कुछ पैसे ले लीजिए, लेकिन टीका सभी को लगने चाहिए। न्यायालय ने कहा कि सरकार को ऐसे मामलों में इनोवेटिव होकर सोचने की जरूरत है। पीठ ने कहा कि सरकार को वैक्सीन के लिए अपील वाला संदेश हमेशा चलाने के बजाए, ऐसे संदेश बनाने जो टेप की तरह स्वयं बंद हो जाए। साथ ही सरकार से सवाल किया कि ‘क्या आप इस संदेश को 10 साल तक चलाएंगे।’

दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार से कहा कि आपको अलग-अलग संदेश तैयार करने चाहिए, जब लोग अलग-अलग संदेश सुनेगा तो यह उसकी मदद होगी। पिछले साल आपने नियमित रूप से हाथ धोने और मास्क पहनने को लेकर काफी प्रचार और प्रसार हुआ था और अब ऑक्सीजन, कंसंट्रेटर, दवाओं आदि के इस्तेमाल पर इसी तरह की ऑडियो-विजुअल पहल होनी चाहिए। 

दिल्ली हाई कोर्ट  ने सरकार से लोगों को ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और सिलिंडरों के उपयोग के बारे में जागरूक करने या टीकाकरण के लिए प्रेरित करने के लिए टीवी एंकर की मदद से एक छोटा सा आडियो-वीडियो संदेश तैयार करने की बात कही। साथ ही बॉलीवुड अभिनेता अमिताभ बच्चन जैसे सेलेब्रिटीज से भी सहायता लने पर विचार करने को कहा। इस मामले पर 18 मई तक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया।

Input : First bihar

241 thoughts on “पर्याप्त वैक्सीन नहीं है और टीके लगवाने वाली डॉयल ट्यून से कर रहे परेशान : दिल्ली हाई कोर्ट”
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