बिहार के पंचायत सरकार भवनों में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यवसायिक बैंकों की शाखाएं खोली जाएंगी। राज्य में करीब 16 हजार की आबादी पर एक बैंक शाखा है जबकि राष्ट्रीय औसत 11 हजार की आबादी पर एक बैंक शाखा का है। राज्य सरकार बैंक शाखा खोलने के लिए पंचायत सरकार भवन मुहैया कराने के लिए सहमत है।
ऐसी 1078 जगहों की सूची बैंकों को राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी के माध्यम से उपलब्ध करा दी गयी है। गुरुवार को राज्यस्तरीय बैंकर्स कमेटी की 78 वीं बैठक का उद्घाटन करने के बाद उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बैंकों को निर्देश दिया कि राज्य की हर पंचायत में ब्रिक एवं मोर्टार बैंक शाखाएं खोलें।
राज्य में बैंक शाखाओं की संख्या बढ़ाएं। राज्य सरकार पंचायतों में बैंक शाखाएं खोलने के लिए हर सुविधा देने को तैयार है। उन्होंने कहा कि एसएलबीसी की अगली बैठक में बैंक जहां अपनी शाखाएं खोलना चाहते हैं, इसकी कार्ययोजना तैयार कर आएं। प्रसाद ने बैंकों के साख-जमा अनुपात (सीडी रेशियो) नहीं बढ़ने पर बैंकों को फटकार लगायी और कहा कि राष्टीय सीडीआर 75 फीसदी के आसपास है जबकि राज्य का सीडीआर 45.68 फीसदी रहा है।
राज्य में जारी बाढ़ एवं आपदा की स्थिति के मद्देनजर बैंकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गयी है। उन्होंने निर्देश दिया कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में ज्यादा से ज्यादा जरूरतमंदों को शीघ्र ऋण उपलब्ध कराया जाए। इससे सीडीआर में भी सुधार होगा और वार्षिक साख योजना (एसीपी) लक्ष्य को भी हासिल किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि बड़े स्तर पर कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार सृजन के माध्यम से 20 लाख रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है। उन्होंने निर्देश दिया कि राज्य के सभी 38 जिलों में बैंकिंग सेवाओं के डिजिटाइजेशन कार्यों को योजनाबद्ध तरीके से पूरा किया जाए।
बैंक बिहार को लेकर अपना नजरिया बदलें
बैठक में उद्योग मंत्री शाहनवाज हुसैन ने कहा कि बैंक बिहार को लेकर अपना नजरिया बदलें। केंद्र व राज्य सरकार की योजनाओं को अलग-अलग नजरिये से नहीं देखें। ऋण देने को लेकर समय-सीमा तय करें, तय समय-सीमा में ऋण आवेदनों को स्वीकारें या अस्वीकृत करें, किसी को दौड़ाएं नहीं। राज्य में 10 घंटे में बियाडा से भूमि देने की प्रक्रिया पूरी की गयी है।
प्रधानमंत्री बुनकर योजना के तहत एक भी गरीब को ऋण नहीं दिया गया है और न ही इसका प्रचार-प्रसार बैंक कराती है। राज्य निवेश प्रोत्साहत पर्षद में विस्तृत जांच व समीक्षा के बाद योजनाएं स्वीकृत की जाती हैं, फिर भी बैंक लटकाए रखते हैं। इथेनॉल में करोड़ों के निवेश का प्रस्ताव मिला है, अगर दिसंबर तक इसे पूरा करने में बैंकों ने सहयोग नहीं किया तो मुश्किल होगी। इंडियन ऑयल जब गारंटी दे रहा है, तो बैंकों को क्या परेशानी है।
आवास योजनाओं में बैंकों ने नहीं दिए किसी को ऋण
बैठक में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार ने बैंकों पर बिहार के गरीबों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना या मुख्यमंत्री ग्रामीण आवास योजनाओं के लिए सरकार पैसा दे रही है, शौचालय निर्माण का पैसा दे रही है, मनरेगा की मजदूरी दे रही है, थोड़ी सी बैंक मदद कर दें तो ये गरीब अपना आशियाना बेहतर बना लेंगे। उन्होंने जीविका समूहों को बैंक लिंकेज देने, बैंक ऋण देने में कोताही बरते जाने पर नाराजगी जतायी।
साख-जमा अनुपात में फिसड्डी जिलों के लीड बैंक बदले जाएं
इस मौके पर विकास आयुक्त आमीर सुबहानी ने बैंकों को ऋण देने में उदारता बरतने का निर्देश दिया। वहीं, वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस सिद्धार्थ ने साख-जमा अनुपात में फिसड्डी जिलों को लेकर बैंकों की खिंचाई की और कहा कि संबंधित जिले के लीड बैंक को जरूरत हो तो बदला जाए। बैठक में उपमुख्यमंत्री व अन्य मंत्रियों ने रिजर्व बैंक व उत्तर बिहार ग्रामीण बैंक द्वारा तैयार वित्तीय साक्षरता से जुड़े पुस्तकों का विमोचन किया और एनआईसी के सहयोग से सरकारी योजनाओं के तहत आवेदनों की निगरानी को लेकर निर्मित वेबसाइट का लोकार्पण किया। बैठक में रिजर्व बैंक के क्षेत्रीय निदेशक, सभी प्रमुख बैंकों के अधिकारी, सभी जिलों के जिलाधिकारी व अन्य अधिकारी शामिल हुए।
Input : Live hindustan