मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के वरीय अधिवक्ता रामशरण बाबू का निधन, अधिवक्ता समाज में शोक की लहर
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मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के वरीय अधिवक्ता रामशरण बाबू का निधन, अधिवक्ता समाज में शोक की लहर

मुजफ्फरपुर, 5 नवंबर। जिले के वरीय अधिवक्ता एवं एडवोकेट्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष रामशरण सिंह (प्रसिद्ध रूप से रामशरण बाबू) का निधन हो गया। उनके निधन की खबर से पूरे अधिवक्ता समाज में शोक की लहर दौड़ गई है। अधिवक्ता समाज ने उन्हें “मुजफ्फरपुर का कोहिनूर” बताया है।

जानकारी मिलते ही उनके प्रवक्ता एवं मानवाधिकार मामलों के अधिवक्ता एस.के. झा उनके भगवानपुर स्थित आईजी कॉलोनी आवास पर पहुंचे। श्री झा ने गहरी शोक संवेदना व्यक्त करते हुए कहा कि रामशरण बाबू का जाना मुजफ्फरपुर ही नहीं, बल्कि पूरे उत्तर बिहार के अधिवक्ता समुदाय के लिए अपूरणीय क्षति है।

उन्होंने वर्ष 1968 से वकालत की शुरुआत की थी और लगातार 57 वर्षों तक विधि सेवा में सक्रिय रहे। वे आपराधिक मामलों के गहन जानकार माने जाते थे। न्यायालय में उनकी बहस और जिरह सुनने के लिए बड़ी संख्या में अधिवक्ता उपस्थित रहते थे।

एडवोकेट्स एसोसिएशन की नई इमारत के निर्माण का श्रेय भी उन्हीं को जाता है। हाल ही में उन्होंने एसोसिएशन परिसर में संकट मोचन हनुमान मंदिर का निर्माण कराया था और स्वयं उसकी प्राण-प्रतिष्ठा भी संपन्न कराई थी।

रामशरण बाबू लगातार 33 वर्षों तक एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महासचिव पद पर निर्विरोध चुने गए। अधिवक्ताओं के अधिकारों और सम्मान की रक्षा के लिए वे सदैव अग्रणी रहे।

उनके निधन की सूचना मिलते ही शहर के अनेक गणमान्य अधिवक्ता, सामाजिक कार्यकर्ता और लोग उनके आवास पर श्रद्धांजलि देने पहुंचे। एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार लाल, जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष रामकृष्ण ठाकुर, महासचिव सच्चिदानंद सिंह, वरीय अधिवक्ता विजय कुमार शाही, राजीव रंजन, प्रफुल्ल श्रीवास्तव सहित अनेक अधिवक्ताओं ने गहरा दुःख व्यक्त किया।

रामशरण बाबू अपने पीछे भरा-पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके पुत्र राकेश कुमार सिंह उर्फ टुन्ना सिंह भी क्रिमिनल मामलों के अधिवक्ता हैं। अधिवक्ता एस. के. झा ने कहा — “रामशरण बाबू की कमी कभी पूरी नहीं की जा सकती। वे उत्तर बिहार के अधिवक्ता समाज के सच्चे मार्गदर्शक और प्रेरणा-स्रोत थे।