मुजफ्फरपुर, 11 जुलाई 2025 आज से सावन मास का शुभारंभ हो रहा है, जो हिंदू धर्म में सबसे पवित्र और आध्यात्मिक महीनों में से एक माना जाता है। यह महीना भगवान शिव की भक्ति, प्रकृति के सौंदर्य और उत्सवों का अनूठा संगम लेकर आता है। सावन का महीना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं की गहरी छाप भी छोड़ता है।
सावन का महत्व
सावन मास भगवान शिव को समर्पित है। मान्यता है कि इस महीने में भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सावन में समुद्र मंथन के दौरान निकला विष भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया था, जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। इस महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा, शिवलिंग पर जलाभिषेक, और रुद्राभिषेक जैसे अनुष्ठानों के माध्यम से भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।
सावन और प्रकृति का नाता
सावन का महीना वर्षा ऋतु के साथ आता है, जब प्रकृति अपने पूर्ण यौवन पर होती है। हरियाली, झरनों की कल-कल, और मेघों की गर्जना सावन को और भी रसमय बनाती है। यह समय आध्यात्मिकता के साथ-साथ प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का भी है। सावन के गीत, जैसे “सावन की सुहानी रुत आयी” और लोकप्रिय भक्ति भजनों की गूंज हर ओर सुनाई देती है।
सावन के प्रमुख व्रत और त्योहार
सावन में हर सोमवार को सावन सोमवार व्रत रखा जाता है। इस बार सावन में चार सोमवार पड़ रहे हैं, जो भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, हरियाली तीज, रक्षा बंधन और नाग पंचमी जैसे त्योहार भी सावन की रौनक को बढ़ाते हैं। खासकर अविवाहित कन्याएं मंगल गौरी व्रत और तीज के व्रत रखकर सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं।
कांवड़ यात्रा: भक्ति का अनुपम प्रतीक
सावन में कांवड़ यात्रा का विशेष महत्व है। लाखों शिव भक्त गंगा जल लेकर पैदल यात्रा करते हैं और अपने आराध्य को जल चढ़ाते हैं। यह यात्रा न केवल भक्ति का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता और समर्पण का भी उदाहरण है। हरिद्वार, गंगोत्री, और सुल्तानगंज जैसे स्थानों से कांवड़िए अपने कंधों पर पवित्र जल लेकर प्रमुख शिव मंदिरों जैसे काशी विश्वनाथ, नीलकंठ, और बाबा बैद्यनाथ धाम तक पहुंचते हैं।सावन में भक्ति के रंगसावन में शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, और बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा है। भक्त “ॐ नमः शिवाय” के जाप और शिव तांडव स्तोत्र के पाठ के साथ अपनी भक्ति को और गहरा करते हैं। इस महीने में मंदिरों में भजन-कीर्तन और रुद्राभिषेक के आयोजन भी खास आकर्षण का केंद्र होते हैं।
सावन का संदेश
सावन का महीना हमें भक्ति, प्रेम और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश देता है। यह समय है अपने भीतर की नकारात्मकता को त्यागकर सकारात्मकता और शांति की ओर बढ़ने का। भगवान शिव की तरह सरलता और उदारता को अपनाने का यह अवसर है।
तो आइए, इस सावन में भगवान भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करें, प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लें और अपने जीवन को प्रेम, विश्वास और भक्ति के रंगों से सराबोर करें। हर हर महादेव!