बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित बाबा गरीबनाथ धाम का करीब तीन सौ साल पुराना इतिहास रहा है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव अपने परिवार के साथ विराजते हैं। मंदिर प्रांगण में भगवान सूर्य, राधा-कृष्ण एवं हनुमान जी के भी मंदिर हैं। गर्भगृह के मुख्य द्वार पर नंदी बाबा विराजते हैं।
इस मंदिर के बारे में यह कथा प्रचलित है कि पुराने गरीबनाथ का मंदिर वर्तमान में जहां अवस्थित है, उस जमीन के मालिक ने आर्थिक तंगी की वजह से अपनी जमीन किसी जमींदार के हाथ बेच दी। उसी जमीन में एक बरगद का पेड़ भी था, जो अभी भी प्रांगण में मौजूद है। जमीन के नए मालिक ने कुछ मजदूरों को बुलाकर उस बरगद के पेड़ को कटवाना शुरू किया। तभी बरगद के पेड़ से रक्त जैसा तरल रिसने लगा। जमींदार ने आगे का काम बंद करवा दिया। उसी दिन रात में जमींदार को स्वप्न में भोले बाबा ने दर्शन दिए और कहा कि -मेरी स्थापना यहां करवाओ। चूंकि मेरी खोज एक गरीब मजदूर द्वारा की गई है, इसलिए मैं यहां गरीबनाथ के रूप में विराजमान रहूंगा।
मान्यता है कि पहले जमीन बेचने वाला आदमी बेहद गरीब था। उसकी बेटी के विवाह के लिए घर में कुछ भी नहीं था, तभी उसने बरगद के पेड़ वाली जमीन को बेचा था। लेकिन बाबा के दर्शन के बाद सारे सामानों की आपूर्ति अपने-आप हो गई। तबसे से लोगों के बीच गरीबनाथ धाम की प्रसिद्धि हो गई।
मुजफ्फरपुर स्थित बाबा गरीबनाथ धाम वर्षों से श्रद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा का केंद्र है। मनोकामना लिंग के रूप में भक्तों के बीच विख्यात बाबा गरीबनाथ की महिमा समय के साथ निरंतर बढ़ती जा रही है। सावन के महीने में, विशेषकर सोमवार को सोनपुर के पहलेजा घाट से 70 किलोमीटर की दूरी तय कर कांवड़िए लाखों की संख्या में पवित्र गंगा जल से बाबा गरीबनाथ का जलाभिषेक करते हैं। देवघर की तर्ज पर बाबा गरीबनाथ धाम में भी ‘डाक बम’ द्वारा गंगा जल लेकर महज 12 घंटे में बाबा का जलाभिषेक करने की परम्परा रही है। बाबा की महिमा ऐसी है कि उनका जलाभिषेक करने के लिए हर साल कांवड़ियों की संख्या बढ़ती जा रही हैं।
कैसे पहुंचें: मुजफ्फरपुर का नजदीकी हवाई अड्डा पटना में है, जो करीब 75 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से 24 घंटे टैक्सी एवं बस सेवा उपलब्ध है। मुजफ्फरपुर एक बड़ा रेलवे स्टेशन भी है और देश के कई शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा है।
Input : live hindustan