मुस्लिमों का सबसे बड़ा त्यौहार ईद इस साल 13 या 14 मई को मनाया जाएगा. दरअसल, ईद किस दिन मनाई जाएगी ये इस पर निर्भर होता है कि चांद कब दिखेगा. अगर ईद का चांद 12 मई को दिखता है ईद 13 को मनाई जाएगी 13 को दिखा तो फिर ईद 14 मई को होगी. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक शव्वाल महीने की पहली तारीख को ईद-उल-फितर कहा जाता है. एक महीने के रोजे़ पूरे होने के बाद यह खुशी का मौका होता है जब लोग एक दूसरे से गले मिलते हैं ईद मनाते हैं.

बता दें कि ईद का त्यौहार रमजान के रोज रखने बाद मनाया जाता है. रमजान के पाक महीने में रोज़ेदार सुबह सूरज निकलने से लेकर शाम को सूरज डूबने तक कुछ भी खाते पीते नहीं हैं. यहां तक की पानी भी नहीं पीते हैं.

पिछले साल की तरह इस साल भी कोरोना (Coronavirus) महामारी ने तबाही मचाई हुई है. इसे देखते हुए मुस्लिम धर्मगुरुओं ने तमाम लोगों से गुजारिश करते हुए कहा कि, सभी लोग घरों में ही ईद की नमाज पढ़, खुशियां मनाएं. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है. ईद के दिन सुबह की नमाज पढ़ इसकी शुरूआत हो जाती है.

इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार, रमजान के दौरान पाक मन से रोजे रखने वालों नमाज अदा करने वालों के अल्लाह सारे गुनाह माफ कर देता है. वहीं ईद उल फितर के साथ ही रोजे भी खत्म हो जाते हैं. ईद उल फितर के दिन लोग सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन चैन की दुआ मांगते हैं.

मुस्लिम धर्मगुरुओं की लोगों से अपील

जामा मस्जिद के शाही इमाम सईद अहमद बुखारी ने मुस्लिम समाज से अपील करते हुए कहा कि, आगामी दिनों में मनाई जानी वाली ईद पर लोग अपने घरों में ही नमाज पढ़ें. ये जानलेवा बीमारी बहुत तेजी से फैल चुकी है. यह ऐसा कयामत का मंजर जिसे हमने आपने अपनी जिंदगी में कभी नहीं देखा. कई परिवारों ने अपने लोगों को खो दिया. कई लोग तो अपनों को कंधा भी नहीं दे सके, डॉक्टरों के मुताबिक अभी तीसरी लहर बाकी है. इसके लिए बहुत एहतियात की जरूरत है.

नई दिल्ली के इमाम हाउस में मुख्य इमाम डॉक्टर इमाम उमेर अहमद इल्यासी ने अपील करते हुए कहा कि, इस समय बेहद कठिन समय चल रहा है. मैं सभी लोगों ने गुजारिश करता हूं कि आप सभी लोग सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस का पालन जरूर करें. मस्जिदों के अंदर चंद लोग ही नमाज पढ़ रहें है इसलिए आप बीते साल की तरह इस साल भी नियमों का पालन करें. हालात बेकाबू हो गए है, अपने घरों में ही रहें. इस बात का भी ख्याल रखें कि आपको खुद के साथ अपनों की भी जान बचानी है.

दूसरी ओर इस्लामिक धर्मगुरु मौलाना राशिद फिरंगी महली ने लोगों से अपील की कि, मैं सभी से बस यही गुजारिश करना चाहता हूं, जिस तरह कोरोना बीमारी ने अपना विकराल रूप ले रखा है. ऐसे में बेहतर यही है कि सभी लोग अपने घरों में ही रहें.

अपनों की जान बचाना हर किसी की जिम्मेदारी है, क्योंकि इस साल फिर महामारी खत्म नहीं हुई है ऐसे में लोगों की आर्थिक स्थिति भी ठीक नहीं है. तो हम साभी ज्यादा ज्यादा लोगों की मदद करें इस बात का भी ध्यान हम सभी को रखना है.

ईद-उल-फितर में मीठे पकवान (खासतौर पर सेंवईंयां) बनती हैं. लोग आपस में गले मिलकर अपने गिले-शिकवों को दूर करते हैं. घर आए मेहमानों की विदाई कुछ उपहार देकर की जाती है. इस्लामिक धर्म का यह त्योहार भाईचारे का संदेश देता है.

इनपुट : न्यूज़ नेशन टीवी

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