लखनऊ, 28 साल के बाद सीबीआई की लखनऊ कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में  आज ऐतिहासिक फैसला देते हुए सभी 32 आरोपी को बरी कर दिया. जज ने कहा कि यह घटना अचानक हुई थी. यह पहले से सुनियोजित नहीं थी. इसके साथ ही सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है. कोर्ट ने कहा कि जो आरोप सीबीआई ने लगाया था वह सिद्ध नहीं हो पाया. जो फोटो सामने उसके बारे में रिल के बारे में बताया गया है कि उसके साथ टेंपरिंग किया गया था. फोटो का निगेटिव जमा नहीं किया गया था. कोर्ट ने कहा कि ढ़ाचा गिराने के मामले में इस सभी आरोपी शामिल नहीं थे. बल्कि उसमें असामाजिक तत्व शामिल थे जो तोड़फोड़ किए. ज्ञात हो की बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी, यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, एमपी की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती, बीजेपी के सीनियर नेता विनय कटियार समेत कुल 32 आरोपी हैं. मस्जिद गिराए जाने के बाद 49 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई थी.

लालकृष्‍ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और पूर्व मंत्री उमा भारती वीडियो कांफ्रेंस के जरिए कोर्ट से जुड़े। आडवाणी (92) और जोशी (86) को स्वास्थ्य के आधार पर सुनवाई में छूट दी गई है। वहीं उमा भारती कोरोनो होने के कारण कोर्ट नहीं पहुंची, जबकि कुछ समय पहले कल्याण सिंह भी कोरोना का शिकार हुए थे, जो अभी भी क्‍वारंटीन में है।

इस मामले में 49 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से 17 लोगों की मौत हो चुकी हैं और 32 आरोपी बचे है। हालांकि लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, कल्याण सिंह, विनय कटियार और महंत नृत्य गोपाल को छोड़कर सभी 26 अभियुक्त कोर्ट पहुंचे है। आज इस ऐतिहासिक फैसले के बाद सीबीआई के स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव रिटायर हो जाएंगे.

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