मुजफ्फरपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में शनिवार को सिकंदरपुर निवासी चंद्र किशोर पराशर ने रेलवे प्रशासन के खिलाफ एक परिवाद दायर कर मुकदमा दर्ज कराया। इस मामले में मंडल रेल प्रबंधक विवेक भूषण सूद, महाप्रबंधक छत्रपाल सिंह, स्टेशन अधीक्षक अखिलेश कुमार, क्षेत्र अधीक्षक रवि शंकर महतो और सहायक अभियंता कमलेश पाठक को आरोपी बनाया गया है।
आरोप है कि इन अधिकारियों ने साजिश रचकर योजनाबद्ध तरीके से मुजफ्फरपुर रेलवे स्टेशन परिसर में स्थित दो मंदिरों—कुली मंदिर और दुर्गा मंदिर—को तोड़ दिया। इसके साथ ही मंदिर में रखी अष्टधातु की मूर्ति और गहनों की चोरी का भी आरोप लगाया गया है। इस मामले की सुनवाई 2 अप्रैल 2025 को निर्धारित की गई है।
मंदिर नव निर्माण समन्वय समिति के अध्यक्ष चंद्र किशोर पराशर ने बताया की 11 मार्च को जब मैं स्टेशन पर मंदिर दर्शन के लिए गया, तो वहां का दृश्य देखकर मैं स्तब्ध रह गया। मंदिर को तोड़ा जा चुका था। इस घटना से मुझे गहरा आघात लगा और मैं बीमार पड़ गया। मुझे डॉक्टर के पास जाना पड़ा। इसके बाद 17 मार्च को मैंने रेलवे प्रशासन से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन मुझे मिलने नहीं दिया गया। तब सभी भक्तों ने मिलकर इस अन्याय के खिलाफ आंदोलन शुरू किया और अदालत का रुख किया।
इस पूरे मामले पर अधिवक्ता प्रमोद कुमार शुक्ला ने जानकारी दी कि मंदिर ध्वस्त करने के आरोप में यह परिवाद दायर किया गया है। मुकदमा बीएनएस की धारा 111, 208, 209, 61 और आईपीसी की धारा 295, 296, 120बी के तहत दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा, “रेलवे प्रशासन ने बिना किसी पूर्व सूचना या स्वीकृति के धार्मिक स्थल को नष्ट कर दिया, जो कानून का उल्लंघन है।