बिहार विधानसभा चुनाव के पहले पीएम मोदी ने तीसरी बार बिहार को कई योजनाओं की सौगात की है. जिसमें जलापूर्ति व सीवर से जुड़ी 543.28 करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास किया. ये परियोजनाएं केंद्र की नमामि गंगे और अमरुत योजना से जुड़ी हैं। पीएम मोदी ने पटना नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत बेऊर में नमामि गंगे योजना अंतर्गत बनाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन किया. उन्होंने पटना नगर निगम क्षेत्र में ही करमलीचक में नमामि गंगे योजना के अंतर्गत बनाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन भी किया.
उन्होंने पटना नगर निगम क्षेत्र में ही करमलीचक में नमामि गंगे योजना के अंतर्गत बनाए गए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का उद्घाटन भी किया. वहीं मुंगेर नगर निगम में AMRUT योजना के अंतर्गत ‘मुंगेर जलापूर्ति योजना’ का पीएम मोदी ने शिलान्यास किया. योजना के पूर्ण होने से नगर निगम क्षेत्र के निवासियों को पाइपलाइन के माध्यम से शुद्ध जल उपलब्ध होगा. इसके साथ प्रधानमंत्री मोदी ने नगर परिषद जमालपुर में भी AMRUT योजना के तहत जमालपुर जलापूर्ति योजना का शिलान्यास किया. नमामि गंगे योजना के अंतर्गत मुजफ्फरपुर में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट योजना का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी ने किया.
इसके अंतर्गत मुजफ्फरपुर शहर के तीन घाटों (पूर्वी अखाड़ा घाट, सीढ़ी घाट, चंदवारा घाट) का विकास किया जाएगा. रिवर फ्रंट पर कई प्रकार की मूलभूत सुविधाएं जैसे शौचालय, चेंजिंग रूम, वाच टावर इत्यादि उपलब्ध होंगी. इस अवसर पर बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन साल के भीतर नमामि गंगे योजना के तहत बेउर और कर्मलीचक सीवर प्लांट का काम पूरा हो गया. यह काफी खुशी की बात है. तीन साल पहले प्रधानमंत्री ने इस योजना का शिलान्यास किया था. आज इन दो योजनाओं का उद्धाटन हुआ. उन्होंने आगे कहा कि अमरूत योजना के तहत 24 घंटे पानी देने की बात कही जा रही है. ऐसा करने से पानी की बर्बादी होगी. पानी देने की समय सीमा तय की जानी चाहिए. ऐसा करने से पानी की बर्बादी रूकेगी नहीं तो 24 घंटे लगातार पानी देने से लोग स्वच्छ पानी को बर्बाद करेंगे.
इसके अलावा मोदी सरकार बिहार को एक और बड़ा तोहफा दिया है। दरअसल मोदी कैबिनेट ने दरभंगा मेँ अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही बिहार में पटना के बाद दूसरा AIIMS बनने का रास्ता साफ हो गया है। दरभंगा में एम्स के निर्माण से सूबे में उत्तर बिहार के बेतिया से लेकर कोसी और सीमांचल के सहरसा, सुपौल और पूर्णियां तक के लोगों स्वास्थ्य क्षेत्र में इसका फायदा होगा। इसके साथ-साथ पटना पर लोगों की निर्भरता भी घटेगी।