पटना. बिहार सरकार के पंचायत राज पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश, 2021 के खिलाफ पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) में एक जनहित याचिका दायर (PIL) की गयी है. शनिवार को वकील प्रियंका सिंह द्वारा दायर की गई इस याचिका में राज्य सरकार के बीते दो जून के बिहार पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश, 2021 के कुछ प्रावधानों को असंवैधानिक ठहराने का अनुरोध किया गया है.

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत के पदाधिकारियों का कार्यकाल 15 जून, 2021 को समाप्त होने वाला है. बता दें कि बिहार मंत्रिमंडल ने बीते मंगलवार को बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की कुछ धाराओं में संशोधन के लिये अध्यादेश को मंजूरी दी थी ताकि राज्य सरकार को कोरोना वायरस के कारण स्थगित इन त्रिस्तरीय पंचायत निकायों के नए चुनाव होने तक उनके कामकाज की निगरानी के लिए परामर्श समितियों के गठन की शक्ति दी जा सके.

याचिका में सूबे के मौजूदा त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल समाप्त होने से पहले चुनाव कार्यक्रम की घोषणा किये जाने या मौजूदा प्रतिनिधियों का कार्यकाल अगले छह महीने तक या नया चुनाव होने तक बढ़ाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में अदालत से प्रतिवादियों को प्रशासनिक अधिकारियों को ग्राम कचहरी समेत बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत का प्रशासन चलाने की शक्ति देने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.

याचिका में पंचायती राज व्यवस्था की भावना के खिलाफ घोषित करने का अनुरोध याचिका में बिहार पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश को संविधान के अनुच्छेद 243 ई और पंचायती राज व्यवस्था की भावना के खिलाफ घोषित करने का अनुरोध किया गया है.

बता दें कि नीतीश सरकार द्वारा पंचायती राज व्यवस्था में बदलाव को लेकर लाए गए अध्यादेश को राज्यपाल फागू चौहान ने दो जून को मंजूरी दी थी. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद सरकार द्वारा इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है. इसे बिहार गजट में प्रकाशित किया गया है. 15 जून को निर्वाचित पंचायत प्रतिनिधियों का कार्यकाल खत्म होने के बाद इसके अगले दिन यानी 16 जून से बिहार में ग्राम पंचायतों से लेकर पंचायत समिति और जिला परिषद में कामकाज परामर्श समिति के माध्यम से चलेगा.

Input : News18

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