मुजफ्फरपुर, शहर के मेयर सुरेश कुमार इस बार बहुत बुरे फसे है. ऑटो टिपर घोटाला मे इस कदर उलझ गए है. की अब उनकी कुर्सी ही साफ़ होने वाली है. मेयर गंभीर कानूनी पचड़े में पड़ गए हैं. उनकी कुर्सी छीन जाने का बड़ा खतरा मंडरा रहा है. मेयर सुरेश कुमार के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं के साथ गबन और साजिश की कई धाराओं में निगरानी कोर्ट में चार्जशीट दायर हो गया है.
मेयर समेत कई अभियुक्तों को साढ़े तीन करोड़ की गड़बड़ी का अभियुक्त बताया गया है. नगर निगम के दो इंजीनियर भरत लाल और प्रमोद कुमार पर चार्जशीट दाखिल हो गया है. मेयर के खिलाफभ्रष्टाचार विरोधी अधिनियम 1988 की धाराओं के साथ-साथ आईपीसी की धारा- 409, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत चार्जशीट दायर किया गया जिसमें आरोप सत्य पाए जाने पर चार साल से दस साल तक की सजा हो सकती है.
आपको बता दे की साल 2017 में मुजफ्फरपुर नगर निगम में मेयर के आदेश पर 50 ऑटो और टिपर खरीदे गए थे. करीब साढ़े तीन करोड़ की इस खरीद में पटना की कंपनी मौर्या मोटर से ज्यादा कीमत पर खरीद की गई. जबकि मुजफ्फरपुर के एक बीडर के कम रेट के टेंडर को खारिज कर दिया गया था. इस मामले में 12 दिसम्बर 2018 को सरकार के आदेश के बाद निगरानी थाना पटना में मेयर सुरेश कुमार, दो नगर आयुक्त रमेश रंजन और रंगनाथ चौधरी समेत दस आरोपियों के खिलाफ कांड संख्या 56/2018 दर्ज किया गया था. कई स्तर के जांच और सियासी उठापटक के बाद सरकार ने मेयर के खिलाफ अभियोग चलाने का आदेश दिया था. उसके बाद निगरानी ब्यूरो ने मेयर को दोषी पाते हुए चार्जशीट दायर कर दिया है.
मेयर सुरेश कुमार ने इस मामले को साजिश करार देते हुए कहा है कि उन्हें न्यायालय पर पूरा भरोसा है. मेयर फिलहाल सुप्रीम कोर्ट से जमानत पर हैं. मेयर पर चार्जशीट की चर्चा जोरों पर है क्योंकि सूबे के नगर विकास मंत्री सुरेश शर्मा मुजफ्फरपुर के ही हैं. उनके आदेश के बाद ही मेयर पर अभियोग दायर किया गया है. आरोप पत्र दाखिल होने के बाद महापौर पर और शिकंजा कस सकता है। उनके राजनीतिक भविष्य पर भी खतरा मंडराने लगा है। भ्रष्टाचार के आरोप में सरकार उन्हें बर्खास्त कर सकती है। उनकी ओर से अग्रिम जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका की सुनवाई तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा रखी है और इसे सुनवाई के लिए रखा है। लॉकडाउन के कारण यह सुनवाई अब तक पूरी नहीं हो पाई है। आरोप पत्र दाखिल होने से उनकी अग्रिम जमानत की याचिका स्वीकृत होने में मुश्किल होगी।