0 0
Read Time:5 Minute, 36 Second

मुजफ्फरपुर, दानवीर भामाशाह की 476वीं जयंती पर जिला भाजपा ने उन्हें याद किया। स्थानीय जूरन छपरा स्थित जिला कार्यालय में आयोजित जयंती समारोह में भाजपा के नेता व कार्यकर्ताओं ने भामाशाह के तैल चित्र पर श्रद्धासुमन अर्पित कर उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर दानवीर भामाशाह व्यक्तित्व व कृतित्व पर आयोजित संगोष्ठी में भाजपा जिलाध्यक्ष रंजन कुमार ने कहा कि राष्ट्रभक्त भामाशाह का राष्ट्र के प्रति समर्पण, प्रेम और दानशीलता की तुलना नहीं की जा सकती. भामाशाह राष्ट्रभक्ति और अपनी दानवीरता के कारण ही इतिहास में अमर हो गए। भामाशाह के सहयोग ने महाराणा प्रताप को जहाँ संघर्ष की दिशा दी, वहीं मेवाड़ को आत्मसम्मान दिया।

उन्होंने कहा कि जब मेवाड़ के राजा महाराणा प्रताप संकट की घड़ी में थे, लम्बे समय तक मुगलों से संघर्ष के बाद उन्हें आर्थिक आवश्यकता थी तो उस समय भामाशाह ने आर्थिक सहायता कर महराणा प्रताप के संग्राम को जारी रखने में अहम भूमिका निभाई। भाजपा जिलाध्यक्ष ने कहा कि भामाशाह ने अपरिग्रह को जीवन का मूल मंत्र मानकर संग्रहण की प्रवृत्ति से दूर रहने की चेतना जगाने में अपने आप को झोंक दिया. मातृभूमि के प्रति प्रेम और दानवीरता के लिए भामाशाह का नाम इतिहास में दर्ज है. कहा कि आज देश महापुरुष भामाशाह जी को शिद्दत से याद कर रहा है किन्तु लंबे समय तक देश में शासन करने वालों की सरकार में इतिहास में बहुत सारे महापुरुषों को स्थान नहीं दिया गया परन्तु आज देश के यशस्वी प्रधान मंत्री देश के ऐसे राष्ट्रभक्तों जो अनसुनी अनकही इतिहास में कहीं दब कर रह गए हैं। उन्हें उजागर करने के साथ भारतीय संस्कृति को आगे बढ़ाते हुए देश को आगे बढ़ा रहे हैं।

वहीं पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहा कि आज एक महान योद्धा महान दानवीर और महान राष्ट्रभक्त भामाशाह की जयंती पर हम उन्हें याद कर रहे हैं। भामाशाह को केवल उनके दानवीरता के लिए याद नहीं किया जाता बल्कि वे महान योद्धा और एक सच्चे राष्ट्रभक्त थे। जिन्होंने तन मन और धन राष्ट्र को समर्पित किया। दानवीर कर्ण के बाद यदि किसी महान दानवीर को याद किया जाता है तो दानवीर भामाशाह ही है। जिन्हें पूरा राष्ट्र याद करता है। उन्होंने मेवाड़ की अस्मिता बचाने के लिए महाराणा प्रताप को अपनी संपूर्ण संपति दान दिया। जिससे भारतीय संस्कृति को बचाया जा सका। निश्चित रूप से हमें अपनी भावी पीढ़ी को महाराणा प्रताप और भामाशाह के त्‍याग और तपस्‍या की कहानियां अवश्‍य सुनानी चाहिए । ताकि उन्‍हें भी यह ज्ञात हो सके कि उनके पूर्वजों ने मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए कितना त्‍याग किया था।

पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष रविंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि राष्ट्रभक्ति और दानवीरता के लिए भामाशाह का नाम इतिहास में आज भी अमर है। देश व समाज में आज दानवीर भामाशाह जैसे लोगों की जरूरत है, जो समाज और देश हित में खुल के मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि वे दानवीर व त्यागी पुरुष थे। एक समय ऐसा आया था कि अकबर से लड़ते-लड़ते महाराणा प्रताप को अपनी मातृभूमि त्याग कर उन्हें जंगल में रहना पड़ा था।


वहीं पूर्व जिलाध्यक्ष डाo अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि
आज भी हमारे यहाँ कोई व्यक्ति समाज कल्याण या धर्म के किसी विषय पर दान देता है तो उन्हें भामाशाह के नाम से बुलाते हैं. निश्चित रूप से भामाशाह आज के समय दानदाताओं का पर्याय बन चुके हैं। महाराणा प्रताप एवं भामाशाह के व्यक्तित्व को हम एक दूसरे के पूरक रूप में देखते हैं।

इस अवसर पर पूर्व महापौर सुरेश कुमार, वरिष्ठ भाजपा नेता बिन्देशवर सहनी, डाo ओम प्रकाश ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: