बिहार का मुजफ्फरपुर जिला शाही लीची के लिए दुनियाभर में जाना जाता है। मुजफ्फरपुर की लीची की खास बात ये है कि वो आकार में बड़ी होती है और उसके अंदर का बीज बिलकुल पतला होता है। बूढ़ी गंडक, बागमती और लखनदाई नदियों के किनारे बसा मुजफ्फरपुर शहर बिहार के प्रमुख नगरों में से एक है। मुजफ्फरपुर का नाम राजस्व अधिकारी मुजफ्फर खान के नाम पर पड़ा है। यहां बोली जाने वाली सबसे उल्लेखनीय भाषा अंगिका है। मुजफ्फरपुर राजधानी पटना से 75 किमी दूरी पर है और ये बिहार का चौथा सबसे अधिक आबादी वाला शहर है। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से हिंदू, इस्लाम और नेपाली संस्कृति का सांस्कृतिक प्रभाव है। मुजफ्फरपुर में बिहारी व्यंजनों के साथ-साथ उत्तर भारतीय व्यंजनों प्रसिद्ध हैं। मुजफ्फरपुर में कुछ जगहें हैं जहां आपको जरूर जाना चाहिए।
लीची गार्डन
मुजफ्फरपुर लीची बागानों के लिए प्रसिद्ध है। मुजफ्फरपुर जिले में हर साल लगभग 3 लाख टन लीची का उत्पादन होता है। मई और जून में यहां ताजी लीची का स्वाद लिया जा सकता है। यह वह समय है जब लीची पक चुकी होती है और उसका स्वाद बेहतरीन होता है।
बाबा गरीबनाथ मंदिर
मुजफ्फरपुर के आकर्षण के केंद्रों में से एक बाबा गरीबनाथ मंदिर है जो शहर के बीचों बीच स्थित है। बाबा गरीबनाथ के रूप में भगवान शिव की पूजा की जाती है । कहा जाता है कि शिवलिंग पीपल के पेड़ के नीचे मिला था जहां अब मंदिर है। कहा जाता है कि जिस व्यक्ति ने पेड़ काटा उसने देखा कि पेड़ से खून बह रहा है, जिसके बाद वहां शिवलिंग निकला। बाद में यहां मंदिर बना दिया गया जहां अब भक्तों की भीड़ रहती है। सावन के महीने के दौरान बाबा गरीबनाथ मंदिर में विशेष रूप से भीड़ होती है।
जुब्बा साहनी पार्क
जुब्बा साहनी पार्क मुजफ्फरपुर के मिथनपुरा इलाके में स्थित बच्चों का पार्क है। पार्क का नाम स्वतंत्रता सेनानी जुब्बा साहनी के नाम पर रखा गया था। यह किसी भी अन्य पार्क से अलग नहीं है लेकिन स्थानीय लोगों और पर्यटकों को यहां आना अच्छा लगता है।
खुदीराम बोस स्मारक
खुदीराम बोस मेमोरियल 18 वर्षीय स्वतंत्रता सेनानी खुदीराम बोस को श्रद्धांजलि के रूप में बनाया गया था। खुदीराम बोस को 1908 में प्रफुल चौकी के साथ किंग्सफोर्ड पर बम फेंकने के लिए फांसी की सजा हुई थी। किंग्सफोर्ड उस समय मुजफ्फरपुर के ब्रिटिश जज थे। खुदीराम बोस के बलिदान से प्रभावित होकर कई पर्यटक इस स्थान पर आते हैं।
Input : live hindustan