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मुजफ्फरपुर, गायघाट के एक पंचायत सचिव ने करीब 96 लाख रुपये का गबन कर लिया। यह साबित होने के बाद भी उसके खिलाफ कार्रवाई की फाइल चार साल तक दबी रही। वर्षों बाद फाइल से धूल हटी है। मामले को दबाने वालों को चिह्नित किया जा रहा है। इसमें पूर्व के पदाधिकारी की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।

गायघाट की कांटी पिरौछा पंचायत के पंचायत सचिव विश्वनाथ रजक पर सामाजिक सुरक्षा पेंशन, डीजल अनुदान एवं अन्य मद के करीब 96 लाख 92 हजार 850 रुपये का गबन कर लिया। शुरुआती जांच के बाद तत्कालीन डीएम धर्मेंद्र सिंह ने उसे वर्ष 2017 में निलंबित कर दिया। साथ ही तत्कालीन अपर समाहर्ता, विभागीय जांच के स्तर से विभागीय कार्यवाही शुरू हुई। निलंबन के कुछ बाद ही पंचायत सचिव सेवानिवृत्त हो गए।

फाइल की खोजबीन हुई तो मामला आया सामने

वहीं विभागीय कार्यवाही में उक्त राशि के गबन की पुष्टि की गई। अपर समाहर्ता ने 25 अप्रैल 2018 को रिपोर्ट दे दी। जांच रिपोर्ट के बाद फाइल दबा दी गई। इससे दोषी पंचायत सचिव की बर्खास्तगी की कार्रवाई नहीं हो सकी। दूसरी ओर निलंबन अवधि में ही सेवानिवृत्ति के कारण पंचायत सचिव को सेवांत लाभ नहीं मिला। इसकी मांग के बाद फाइल की खोजबीन हुई तो पूरा मामला सामने आया। जिला पंचायती राज पदाधिकारी ने इस मामले में दो कर्मचारियों से स्पष्टीकरण मांगा है कि जांच रिपोर्ट के बाद भी फाइल क्यों लंबित रखी गई। शुरू हुई खींचतान

स्पष्टीकरण के बाद लिपिक रूद्रकांत शर्मा ने जवाब दिया कि प्रभार लेने वाले कर्मी केशव कुमार को फाइल दे दी गई थी। वहीं केशव कुमार ने एक वर्ष से अधिक समय तक संचिका जिला पंचायती राज पदाधिकारी कार्यालय में ही रहने की बात कही। पूर्व पदाधिकारी के तबादले के बाद फाइल उपलब्ध कराई गई।

कार्यालय की इंवेट्री के समय गायब थे कागजात

पंचायत में बड़ी राशि के गबन का मामला सामने आने के बाद पंचायत सचिव को प्रभार देने को कहा गया। उसने सुदिष्ट राय को प्रभार नहीं सौंपा। इस कारण इवेंट्री तैयार कर कागजात निकाले गए। इसमें महत्वपूर्ण कागजात नहीं मिले। इसे देखते हुए उसपर प्राथमिकी दर्ज कराई गई।

इन राशियों का गबन

सामाजिक सुरक्षा पेंशन मद के 93 लाख 26 हजार 900 रुपये, फेलिन मद के 3 लाख 52 हजार 300, डीजल अनुदान के 650, अन्य 13 हजार रुपये। अब बताया जा रहा कि इनमें से कुछ के बिल जमा किए गए हैं। इसकी रिपोर्ट बीडीओ से मांगी जा रही है।

इनपुट : जागरण

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