जिला उपभोक्ता आयोग का ऐतिहासिक फैसला: पीड़िता नीला देवी को मिला न्याय, अधिवक्ता एस.के. झा की दमदार पैरवी से हारी वकीलों की फौज
मुजफ्फरपुर, 30 मई 2025: जिला उपभोक्ता आयोग ने मुजफ्फरपुर के चर्चित आई हॉस्पिटल के खिलाफ कड़ा कदम उठाते हुए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। सारण जिले के पहलेजाघाट थाना क्षेत्र की खरिका गांव निवासी नीला देवी को गलत इलाज के कारण अपनी दाहिनी आंख की रोशनी गंवानी पड़ी। इस मामले में आयोग ने हॉस्पिटल को 5 लाख रुपये का हर्जाना और 10,000 रुपये वाद खर्च के साथ पीड़िता को भुगतान करने का आदेश दिया है।
मामले का पूरा विवरण
14 नवंबर 2017 को नीला देवी ने मोतियाबिंद के इलाज के लिए मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल में अपनी दाहिनी आंख का ऑपरेशन करवाया था। इसके लिए हॉस्पिटल ने उनसे 700 रुपये शुल्क लिया। लेकिन ऑपरेशन के बाद उनकी हालत बिगड़ती चली गई। हॉस्पिटल द्वारा उचित उपचार न किए जाने के कारण उनकी दाहिनी आंख की रोशनी हमेशा के लिए खत्म हो गई। हताश और निराश नीला देवी ने मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा से संपर्क किया और अपनी आपबीती सुनाई। इसके बाद, 31 मार्च 2022 को अधिवक्ता झा के माध्यम से नीला देवी ने जिला उपभोक्ता आयोग में परिवाद दर्ज किया।
आयोग में सुनवाई और जांच
मामले में आई हॉस्पिटल के छह पक्षकारों—अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव, संयुक्त सचिव, डॉ. प्रवीण कुमार, और ओटी असिस्टेंट—के खिलाफ सुनवाई शुरू हुई। जांच के दौरान सिविल सर्जन, मुजफ्फरपुर द्वारा गठित चिकित्सकीय टीम ने पुष्टि की कि पीड़िता की आंख की रोशनी स्थायी रूप से समाप्त हो चुकी है और इसे वापस लाना असंभव है। आयोग ने माना कि हॉस्पिटल ने त्रुटिपूर्ण ऑपरेशन और लापरवाही बरतते हुए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम का उल्लंघन किया।
आयोग का फैसला
13 मई 2025 को जिला उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष पियूष कमल दीक्षित और सदस्य सुनील कुमार तिवारी की पीठ ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। हॉस्पिटल को आदेश दिया गया कि वह पीड़िता को उनके शेष जीवन और भरण-पोषण के लिए 5 लाख रुपये (7% वार्षिक ब्याज के साथ) और 10,000 रुपये वाद खर्च के रूप में 45 दिनों के भीतर भुगतान करे। यदि हॉस्पिटल 45 दिनों में आदेश का पालन नहीं करता, तो उसे 9% वार्षिक ब्याज के साथ 5 लाख 10 हजार रुपये का भुगतान करना होगा। इस फैसले की सत्यापित प्रति 29 मई 2025 को पीड़िता को सौंपी गई।
अधिवक्ता एस.के. झा की दमदार पैरवी
आई हॉस्पिटल ने इस मामले में वकीलों की एक बड़ी टीम खड़ी की थी, लेकिन मानवाधिकार अधिवक्ता एस.के. झा ने अपनी तर्कपूर्ण और दमदार पैरवी से सभी को पछाड़ दिया। अधिवक्ता झा ने बताया, “यह मामला उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी का था। आयोग ने इसे गंभीरता से लिया और पीड़िता को न्याय दिलाया। यह फैसला कानून में विश्वास रखने वालों की जीत है।
पीड़िता को मिला न्याय
नीला देवी के लिए यह फैसला एक बड़ी राहत है। आंख की रोशनी खोने के बाद मिला यह हर्जाना उनके जीवन को थोड़ा आसान बनाने में मदद करेगा। यह मामला न केवल चिकित्सीय लापरवाही के खिलाफ एक मिसाल है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कानून के सामने कोई कितना भी ताकतवर हो, सच्चाई की जीत निश्चित है।