मुजफ्फरपुर पुलिस का साइबर ठगों पर प्रहार: 4 शातिर गिरफ्तार, 8.33 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़।

मुजफ्फरपुर पुलिस का साइबर ठगों पर प्रहार: 4 शातिर गिरफ्तार, 8.33 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़।

मुजफ्फरपुर पुलिस ने एक बार फिर अपनी सतर्कता और तेजतर्रार कार्रवाई से साइबर अपराध के खिलाफ बड़ी जीत हासिल की है। ‘ऑपरेशन साइबर प्रहार’ के तहत पुलिस ने एक अंतरराज्यीय साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश करते हुए चार कुख्यात अपराधियों को धर दबोचा। यह गिरोह फर्जी एनजीओ, इनवेस्टमेंट और गेमिंग फ्रॉड के जरिए देशभर में लोगों को ठगकर करोड़ों रुपये की उगाही कर रहा था। पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल ठगी के इस विशाल जाल को तोड़ा, बल्कि आम लोगों को साइबर अपराध से बचाने का संदेश भी दिया।

कैसे खुला ठगी का राज?

मामला तब सामने आया जब अहियापुर थाना क्षेत्र में मेडिकल ओवरब्रिज के पास एक होटल में तीन युवकों के बीच रुपये के लेनदेन को लेकर हुए विवाद की सूचना पुलिस को मिली। सतर्क पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए मौके पर पहुंचकर तीनों संदिग्धों को हिरासत में लिया। शुरुआती पूछताछ में चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि ये युवक एक बड़े साइबर ठगी गिरोह का हिस्सा हैं, जो ‘राम प्यारी नंदलाल सेवा संस्थान’ नामक फर्जी एनजीओ के जरिए लोगों को ठग रहे थे। जांच में पता चला कि इस गिरोह ने अब तक 8.33 करोड़ रुपये की ठगी को अंजाम दिया है। कमीशन के बंटवारे को लेकर हुए विवाद ने इस पूरे रैकेट को बेनकाब कर दिया।

गिरफ्तार ठग और जब्त सामान

पुलिस ने अभिषेक पांडेय, कृष्णा कुमार सिंह, विक्रम कुमार सिंह और गुड्डू कुमार को गिरफ्तार किया। गुड्डू कुमार को उसके गांव से पकड़ा गया, जहां से पुलिस ने साइबर ठगी में इस्तेमाल होने वाले उपकरणों और दस्तावेजों का जखीरा बरामद किया। जब्त सामान में फर्जी आधार कार्ड बनाने के उपकरण, बायोमेट्रिक फिंगर स्कैनर, रेटिना स्कैनर, वेब कैमरा, दो लैपटॉप, छह मोबाइल फोन, छह डेबिट कार्ड, दो चेकबुक, एक पासबुक, चार पैन कार्ड, तीन आधार कार्ड, चार फर्जी एनजीओ की मुहरें, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी, वाहन का आरसी, छह आधार नामांकन रसीदें, तीन मिंत्रा फिंगरप्रिंट स्कैनर और एक लाइव स्कैनर डिवाइस शामिल हैं।

अंतरराज्यीय नेटवर्क का खुलासा

साइबर पुलिस के डीएसपी ने बताया कि यह गिरोह एक सुनियोजित और बड़े नेटवर्क के तहत काम कर रहा था। जब्त मोबाइल नंबरों और बैंक खातों की जांच में देशभर के विभिन्न राज्यों से 20 से अधिक साइबर ठगी की शिकायतें सामने आई हैं। यह गिरोह फर्जी एनजीओ के नाम पर लोगों को झांसा देता था और इनवेस्टमेंट व गेमिंग फ्रॉड के जरिए मोटी रकम ऐंठता था। डीएसपी ने कहा कि ‘ऑपरेशन साइबर प्रहार’ के तहत इस तरह की कार्रवाइयां आगे भी जारी रहेंगी, ताकि साइबर अपराधियों के खिलाफ कड़ा प्रहार किया जा सके।

लोगों के लिए सबक

यह मामला आम लोगों के लिए एक बड़ा सबक है। फर्जी एनजीओ, लुभावने इनवेस्टमेंट ऑफर और ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान लिंक, ऑफर या एनजीओ के झांसे में न आएं और अपनी निजी जानकारी साझा करने से पहले उसकी सत्यता जांच लें।

मुजफ्फरपुर पुलिस की इस कार्रवाई ने न केवल एक बड़े साइबर ठगी गिरोह को ध्वस्त किया, बल्कि यह भी दिखाया कि साइबर अपराधियों के खिलाफ उनकी मुहिम कितनी प्रभावी है। पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में जुट गई है, और जल्द ही इस नेटवर्क के पूरे तार खोलने की उम्मीद है।