मुजफ्फरपुर के पानापुर थाना क्षेत्र में 3 अगस्त की रात को हुए बहादुरपुर मठ के महंत रामबाबू सिंह की हत्या ने पूरे इलाके में सनसनी मचा दी थी। अब पुलिस ने इस सनसनीखेज हत्याकांड की परतें उघाड़कर एक ऐसी कहानी सामने लाई है, जो लालच, विश्वासघात और क्रूरता की त्रासदी को उजागर करती है। इस मामले में एक आरोपी, फूलदेव कुमार उर्फ फूलदेव सहनी, को गिरफ्तार कर लिया गया है, जबकि उसका साथी धर्मेंद्र कुमार अभी भी फरार है।
चोरी की साजिश से शुरू हुई खूनी वारदात
पुलिस जांच ने इस हत्याकांड के पीछे की चौंकाने वाली सच्चाई का खुलासा किया। फूलदेव, जो हाल ही में अरुणाचल प्रदेश से लौटा था, आर्थिक तंगी की मार झेल रहा था। पैसों की भारी कमी ने उसे अपने दोस्त धर्मेंद्र के साथ मिलकर महंत रामबाबू सिंह के घर में चोरी की साजिश रचने को मजबूर किया। 3 अगस्त की रात करीब साढ़े दस बजे, दोनों ने चुपके से मठ में सेंधमारी की।
लेकिन उनकी योजना तब भयावह मोड़ ले गई, जब चोरी के दौरान महंत की नींद खुल गई और उन्होंने दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया। झड़प का वह पल एक खौफनाक हत्याकांड में बदल गया। गुस्से और घबराहट में डूबे फूलदेव और धर्मेंद्र ने पहले तलवार से महंत पर वार किया और फिर उनका गला दबाकर उनकी हत्या कर दी। इसके बाद, अपने काले कारनामे को छिपाने के लिए उन्होंने शव को करीब दो किलोमीटर दूर नदी किनारे फेंक दिया और मौके से फरार हो गए।
शातिर अपराधी का ढोंग: अंतिम संस्कार में दी श्रद्धांजलि
इस हत्याकांड की सबसे सिहरन पैदा करने वाली बात यह है कि फूलदेव ने अपनी करतूत को छिपाने के लिए ऐसी चाल चली, जिसने सबको हैरान कर दिया। हत्या के बाद वह न केवल गांव में रहा, बल्कि महंत के अंतिम संस्कार में शामिल होकर उनके शव को कंधा तक दिया। इस ढोंग ने उसे संदेह के दायरे से बाहर रखा, लेकिन पुलिस की सतर्कता और गहन जांच ने आखिरकार उसके चेहरे से नकाब हटा दिया।
पुलिस की तत्परता: सबूतों ने खोला राज
ग्रामीण एसपी राजेश सिंह प्रभाकर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पानापुर थाना प्रभारी अभिषेक कुमार के नेतृत्व में गठित विशेष जांच दल ने इस मामले को सुलझाने में दिन-रात एक कर दिया। पुलिस ने फूलदेव के घर से महंत का चोरी हुआ सामान और हत्या में इस्तेमाल किया गया धारदार हथियार बरामद कर लिया। फूलदेव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है, जबकि फरार आरोपी धर्मेंद्र की तलाश में पुलिस की टीमें छापेमारी कर रही हैं।
न्याय की उम्मीद
यह हत्याकांड न केवल एक व्यक्ति की क्रूर हत्या की कहानी है, बल्कि यह भी दिखाता है कि लालच और हताशा इंसान को कितने नीचे गिरा सकती है। पुलिस की मुस्तैदी ने एक आरोपी को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया है, और अब पूरे इलाके की निगाहें फरार धर्मेंद्र की गिरफ्तारी पर टिकी हैं। यह मामला समाज के सामने एक सवाल छोड़ता है: क्या विश्वास और आस्था के प्रतीक भी अब सुरक्षित नहीं?