बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की घोषणा के साथ ही मुजफ्फरपुर की नगर विधानसभा सीट पर सियासी हलचल तेज हो गई है। प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज ने इस सीट से जाने-माने चिकित्सक डॉ. अमन कुमार दास (डॉ. ए.के. दास) को अपना उम्मीदवार घोषित कर सबको चौंका दिया है। यह कदम न केवल जन सुराज की रणनीति को दर्शाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि पार्टी सामाजिक कार्यों में सक्रिय और जनता के बीच लोकप्रिय चेहरों पर भरोसा जता रही है।
डॉ. ए. के. दास: चिकित्सा से सियासत तक का सफर
डॉ. ए.के. दास मुजफ्फरपुर में मधुमेह और सामान्य चिकित्सा के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम हैं। उन्होंने श्री कृष्ण चिकित्सा महाविद्यालय (एसकेएमसीएच) में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दीं और चिकित्सा विभाग की एक इकाई का नेतृत्व भी किया। कुछ महीने पहले उन्होंने अपनी नौकरी छोड़कर जन सुराज पार्टी जॉइन की और अब वे नगर विधानसभा से चुनावी मैदान में उतरने को तैयार हैं।
डॉ. दास न केवल एक कुशल चिकित्सक हैं, बल्कि सामाजिक जागरूकता के लिए भी जाने जाते हैं। वे मधुमेह जागरूकता कार्यक्रमों में सक्रिय रहे हैं और नियमित व्यायाम व संतुलित आहार के महत्व को जन-जन तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका निभाई है। चेन्नई के एक प्रतिष्ठित मधुमेह संगठन द्वारा उन्हें ‘यंग अचीवर अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया जा चुका है।
जन सुराज का दांव, लेकिन विवाद भी साथ
जन सुराज ने डॉ. दास को उम्मीदवार बनाकर एक साफ-सुथरे और जनसेवा से जुड़े चेहरे को सामने लाने की कोशिश की है। हालांकि, इस घोषणा के साथ ही पार्टी के भीतर कुछ असंतोष भी उभरकर सामने आया है। स्थानीय पार्षद संजय केजरीवाल, जो इस सीट से टिकट की दौड़ में थे, ने टिकट न मिलने से नाराज होकर जन सुराज से इस्तीफा दे दिया।
केजरीवाल ने टिकट आवंटन में अनियमितता और ‘टिकट बिक्री’ का आरोप लगाया, हालांकि उन्होंने प्रशांत किशोर का सीधे तौर पर विरोध करने से परहेज किया। केजरीवाल ने कहा कि वे जल्द ही अपने समर्थकों के साथ बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे। यह विवाद जन सुराज के लिए आंतरिक चुनौती बन सकता है, जिसे पार्टी को सुलझाना होगा।
जनता की नजर में डॉ. दास
डॉ. ए.के. दास का नाम सामने आने के बाद मुजफ्फरपुर की नगर विधानसभा सीट पर चर्चाएं तेज हो गई हैं। उनकी सादगी, चिकित्सा क्षेत्र में योगदान और सामाजिक जागरूकता के प्रति समर्पण उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाता है। अब सवाल यह है कि क्या वे अपनी इस साख को वोटों में बदल पाएंगे? जन सुराज की यह रणनीति कितनी कारगर होगी, यह आने वाले दिनों में साफ होगा, जब चुनावी प्रचार अपने चरम पर होगा।